जबलपुर। मध्य प्रदेश की विभिन्न जिला अदालतों में सहायक जिला अभियोजन अधिकारी (एडीपीओ) के पदों पर मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा की जाने वाली भर्ती एवं नियुक्ति हाईकोर्ट के फैसले के अधीन होंगी। उच्च न्यायालय ने इस संदर्भ में अंतरिम आदेश जारी कर दिए हैं।
हाईकोर्ट ने एमपीपीएससी और गृह विभाग से जवाब मांगा
हाईकोर्ट में मध्य प्रदेश गृह विभाग द्वारा एडीपीओ के लिए निर्धारित की गई आयु को लेकर विवाद है। मामले पर सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ एवं जस्टिस विशाल धगट की खंडपीठ ने प्रमुख सचिव गृह विभाग, मप्र लोक सेवा आयोग के सचिव और परीक्षा नियंत्रक को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में जवाब मांगा है। इसी के साथ कोर्ट ने तीनों याचिकाकर्ताओं को परीक्षा में शामिल होने की अनुमति भी प्रदान कर दी है। मामले पर अगली सुनवाई 7 जनवरी को हाेगी।
एमपीपीएससी आयु सीमा निर्धारण विवाद
जबलपुर के संजय कुमार जैन तथा सीहोर के दीपक सिंह एवं सत्यपाल सिंह की ओर से अधिवक्ता धर्मेंद्र सोनी ने कोर्ट को बताया कि पीएससी ने 27 जून 2021 को एडीपीओ के पद पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया था। परीक्षा 5 दिसंबर को होगी (एमपीपीएससी द्वारा स्थगित कर दी गई है)। उन्होंने बताया कि मप्र राज्य पीएससी नियम 2015 के रूल 6 के उपनियम 3 में आयु की उच्चतम सीमा का निर्धारण विज्ञापन जारी होने के अगले वर्ष एक जनवरी से करने का प्रविधान है। जबकि पूर्व में एमपी अभियोजन अधिकारी भर्ती नियम 1991 में यह नियम नियुक्ति के अगले वर्ष की एक जनवरी से लागू होता था।
MPPSC के पास एडीपीओ परीक्षा कराने का अधिकार नहीं
पीएससी रूल्स के नियम 3 में यह प्रावधान है कि आयोग कौन-कौन सी परीक्षा का आयोजन करेगा। इसके लिए नियम 3 में सूची भी संलग्न है। अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि इस सूची में एडीपीओ की परीक्षा शामिल नहीं है। ऐसे में पीएससी अनाधिकृत रूप से परीक्षा का आयोजन कर रहा है। मध्य प्रदेश में उच्च शिक्षा एवं करियर से जुड़ी खबरों और जानकारियों के लिए कृपया MP career news पर क्लिक करें.