अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के व्यक्तियों के सदस्यों को बहुत से ग्रामीण इलाकों में एक विशेष व्यक्ति को मत देने के लिए दबाब दिया जाता है,कुछ दबाब में आकर वोट दे देते हैं कुछ नहीं देते हैं। लेकिन अगर चुनाव के बाद कोई व्यक्ति अनुसूचित जाति एवं जनजाति के सदस्यों के साथ निम्न प्रकार का व्यवहार करेगा वह गंभीर अपराध होगा जानिए।
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की धारा 3(1) (ढ) की परिभाषा
अगर कोई व्यक्ति जो अनुसूचित जाति एवं जनजाति का सदस्य नहीं है, वह इस वर्ग के व्यक्ति पर चुनाव जीतने या हारने के बाद निम्न प्रकार से व्यवहार करेगा:-
1. किसी भी प्रकार की कम गम्भीर या ज्यादा गंभीर चोट करेगा।
2 किसी भी प्रकार से हमला करेगा या करवाएगा।
3. सामाजिक या आर्थिक बहिष्कार अधिरोपित करेगा या धमकी द्वारा करवाएगा।
4. किसी भी नहीं लोक सेवाओ का लाभ या फायदा नहीं मिलने देगा जो उसे शासन द्वारा प्राप्त अधिकार है।
उपर्युक्त कार्य करने वाला व्यक्ति धारा 3(1) (ढ) के अंतर्गत अपराधी होगा।
अनुसूचित जाति एवं जनजाति अधिनियम,1989 की धारा 3(1)ढ के अंतर्गत दण्ड़ का प्रावधान
इस धारा के अपराध संज्ञेय एवं अजमानतीय होते हैं। इनकी सुनवाई का अधिकार क्षेत्र जिला विशेष न्यायालय करता है। सजा- इस धारा के अपराध के लिए अधिकतम पाँच वर्ष की सजा एवं जुर्माना से दण्डित किया जा सकता है।
पीड़ित व्यक्ति को राहत राशि
अनुसूचित जाति और जनजाति(अत्याचार निवारण) नियम, 1995 नियम 12(4) के अनुसार इस अपराध के अंतर्गत पीड़ित व्यक्ति को राज्य शासन द्वारा 85 हजार रुपये की आर्थिक सहायता (संदाय) दी जाती है। यह राशि जिला कलेक्टर या SDM या जिला संयोजक अनुसूचित जाति एवं जनजाति कार्यालय द्वारा स्वीकृत होती है। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com