भारतीय दण्ड संहिता की धारा-95 कहती है कि छोटी-मोटी क्षति या गाली गलौज अपराध नहीं होती है एवं धारा-503 आपराधिक अभित्रस अर्थात किसी भी प्रकार की उपहति की धमकी देना, अपमानित करना आदि कम गंभीर अपराध होता हैं एवं जमानतीय होता। लेकिन कोई व्यक्ति यही अपराध किसी सार्वजनिक स्थान पर अनुसूचित जाति एवं जनजाति के सदस्य के साथ करते हैं तो यह बहुत गम्भीर अपराध होगा जानिए।
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की धारा 3 (1) द एवं ध की परिभाषा
वह व्यक्ति जो अनुसूचित जाति एवं जनजाति का सदस्य नहीं है और वह व्यक्ति अनुसूचित जाति या जनजाति के सदस्यों को सार्वजनिक या लोक स्थान पर किसी भी प्रकार की चोट करने की धमकी देगा, किसी भी प्रकार से अपमानित करेगा, जाति सूचक शब्दों से या किसी भी प्रकार से गाली गलौज करेगा तब ऐसा करने वाला व्यक्ति अधिनियम की धारा 3 (1) द एवं ध के अंतर्गत दंडनीय होगा।
नोट:- अधिनियम की धारा 3(2) (v क) के अंतर्गत यह अपराध विशेष विधि के साथ भारतीय दण्ड संहिता की धारा 506 के अंतर्गत आपराधिक अभित्रास से भी दण्डित होगा।
अनुसूचित जाति एवं जनजाति अधिनियम,1989 की धारा 3(1) द एवं ध के अंतर्गत दण्ड़ का प्रावधान
इस धारा के अपराध संज्ञेय एवं अजमानतीय होते हैं। इनकी सुनवाई का अधिकार क्षेत्र जिला विशेष न्यायालय करता है। सजा- इस धारा के अपराध के लिए अधिकतम पाँच वर्ष की सजा एवं जुर्माना से दण्डित किया जा सकता है।
पीड़ित व्यक्ति को शासन द्वारा राहत सहायता राशि
अनुसूचित जाति और जनजाति(अत्याचार निवारण) नियम,1995 नियम 12(4) के अनुसार इस अपराध के अंतर्गत पीड़ित व्यक्ति को राज्य शासन द्वारा एक लाख रुपये की आर्थिक सहायता(संदाय) दी जाती है। यह राशि जिला कलेक्टर या SDM या जिला संयोजक अनुसूचित जाति एवं जनजाति कार्यालय द्वारा स्वीकृत होती है। - लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com