क्या आप जानते हैं कि मनुष्य के शरीर में भोजन का पाचन कैसे होता है, इसके बारे में पहली बार खोज कब और कैसे हुई। एक स्वस्थ मनुष्य के शरीर का तापमान कितना होता है, यह तो हमको मालूम है परंतु क्या आप जानते हैं कि हमारे पेट के अंदर का तापमान कितना होता है। तो चलिए आज एक कहानी के माध्यम से यही सब जानने की कोशिश करते हैं।
यह कहानी एक फौजी और एक डॉक्टर की है। उस फौजी का नाम था मार्टिन और डॉक्टर का नाम था बोमेंट और कहानी का नाम है "खिड़की वाले पेट की कहानी (A Stomach with a window)" इस कहानी में ऐसा होता है कि मार्टिंन नाम के फौजी को एक बार गोली लग जाती है, जिसके कारण उसके पेट में घाव हो जाता है। कुछ समय बाद घाव तो ठीक हो जाता है परंतु पेट में एक छेद बन जाता है। जिसमें ट्यूब डालकर खाना भी बाहर निकाला जा सकता है और पेट के अंदर देखा भी जा सकता है कि अंदर क्या हो रहा है।
उस समय तक यानी 1822 तक वैज्ञानिकों को यह तक मालूम नहीं था कि पेट के अंदर पाचन की क्रिया कैसे होती है, पाचक रस क्या होते हैं, उनका क्या काम होता है, पाचन में कैसे मदद करते हैं ?
तो फिर मालूम है डॉक्टरों ने क्या किया! उन्होंने मार्टिन के पेट में हो रही हलचल का पता लगाने के लिए उसके पेट से कुछ पाचक रस निकाले और फिर इनको बाहर एक गिलास में डालकर उसमें मछली के कुछ टुकड़े डाले और उस गिलास को लगभग उसी तापमान पर रखा जितना कि तापमान हमारे पेट के अंदर होता है। यानी कि 30 डिग्री सेंटीग्रेड। और सुबह 8:30 बजे रखे गए इन टुकड़ों को जब 2:00 बजे देखा तो नजर आया कि वह पूरी तरह से घुल चुके थे।
फिर डॉक्टर ने उस पाचक रस में रखा हुआ खाना मार्टिन को खिलाया फिर अलग-अलग भोजन पचने में कितनी देर लगेगी , उसके बारे में भी सोचा। इस तरह डॉक्टर ने मार्टिन के खिड़की वाले पेट के सहारे पाचन के कई रहस्य खोले।