यदि आप मध्यप्रदेश में अपना न्यू स्मॉल स्केल बिजनेस शुरू करने के लिए प्लान कर रहे हैं तो यह अवसर आपके लिए अच्छा हो सकता है। आप अपने जिले में फूड प्रोसेसिंग यूनिट शुरू कर सकते हैं। सरकार की तरफ से इसके लिए बैंक लोन दिलाने में मदद की जा रही है और 1000000 रुपए तक की सब्सिडी भी दी जा रही है।
भारत सरकार की सुक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों के विकास के लिये PMFME (प्रधानमंत्री सुक्ष्म खाद्य उद्यम उन्नयन योजना) स्कीम के अंतर्गत अपने सुक्ष्म खाद्य उद्यमों को बढ़ाने के लिये 35 प्रतिशत की सब्सिडी (अधिकतम 10 लाख रुपये) के साथ बैंक ऋण पाने के लिये सरकार के पोर्टल www.pmfme.mofpi.gov.in पर ऑनलाईन आवेदन कर सकते हैं।
मध्यप्रदेश में एक जिला एक उत्पाद अभियान के तहत जिले के लिए निर्धारित किए गए उत्पादों से संबंधित उद्यम के लिए सरकारी योजनाओं के तहत सहायता प्रदान की जा रही है। जिन जिलों के उत्पाद खाद्य से संबंधित हैं वहां प्रोसेसिंग यूनिट लगाने के लिए स्थानीय प्रशासन द्वारा सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। प्रधानमंत्री सुक्ष्म खाद्य उद्यम उन्नयन योजना का लाभ लेने के लिए कृपया अपने जिले के सहायक संचालक उद्यान से संपर्क करें।
फूड प्रोसेसिंग यूनिट क्या है, स्कोप कितना है
फूड प्रोसेसिंग का मतलब है कच्चे माल को प्रोसेस करके खाने योग्य बना देना। खेत से आलू निकालकर उसके चिप्स बनाना। आलू के उत्पादन को खेती कहते हैं और आलू के चिप्स बनाने की प्रक्रिया को फूड प्रोसेसिंग। भारत में फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री का मार्केट शेयर 32% है। यदि किसान या उसके परिवार का कोई सदस्य फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाता है तो मुनाफा डबल हो जाएगा। डॉक्यूमेंटेशन की प्रक्रिया बिल्कुल वैसी ही है जैसी किसी फर्म अथवा प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की होती है।
फूड प्रोसेसिंग यूनिट के कुछ उदाहरण
आलू के चिप्स की यूनिट।
टोमाटो सॉस की यूनिट।
सरसों के तेल की मिल।
सोयाबीन बड़ी बनाने की यूनिट।
गेहूं से आटा बनाने की फ्लोर मिल।
अचार और पापड़ बनाने की यूनिट।
इस तरह की 500 से ज्यादा यूनिट फूड प्रोसेसिंग के अंतर्गत आती है।
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