कश्मीर में अनंतनाग से 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मार्तंड मंदिर गुजरात और कोणार्क के सूर्य मंदिरों से भी प्राचीन है। यह दुनिया के सबसे सुंदर धर्म स्थलों की श्रेणी में गिना जाता था। कश्मीर में स्थित भारत का यह सूर्य मंदिर कितना भव्य था, इसका अनुमान सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है कि मुगलों को इस मंदिर को तोड़ने में पूरा 1 साल लगा फिर भी इसका अस्तित्व समाप्त नहीं किया जा सका।
मार्तंड मंदिर कश्मीर- विश्व के सबसे सुंदर धार्मिक स्थलों में से एक
भगवान सूर्य को समर्पित इस मंदिर का निर्माण आठवीं शताब्दी में सन 725 से लेकर 756 तक किया गया। यह भारत का सबसे प्राचीन सूर्य मंदिर है। गुजरात का मोढेरा सूर्य मंदिर 11वीं शताब्दी और उड़ीसा का कोणार्क सूर्य मंदिर 13वीं शताब्दी में बनाया गया था। इस मंदिर को मार्तंड मंदिर के नाम से पुकारा जाता है। मार्तंड, भगवान सूर्य का एक नाम है। यह मंदिर ना केवल प्राचीन है बल्कि विश्व के सबसे सुंदर धार्मिक स्थलों की श्रेणी में शामिल था।
मार्तंड मंदिर कश्मीर- 1 साल तक तोड़ते रहे फिर भी अस्तित्व नहीं मिटा
इस मंदिर का निर्माण कर्कोटक वंशज ललितादित्य मुक्तपिडा राजा ने करवाया था। महाराज ललितादित्य मुक्तपीडा का साम्राज्य काबुल से लेकर आज के कलकत्ता तक फैला था। मार्तंड मंदिर एक पर्वत की चोटी पर बनाया गया है ताकि कश्मीर की घाटी का स्वर्ग के समान दर्शन प्राप्त किया जा सके। मुगल हमलावर सिकंदर शाह जिसे सिकंदर बुतशिकन (मूर्तियों को तोड़ने वाला) के नाम से जाना जाता है, ने 15 वीं सदी में मार्तंड मंदिर का नामोनिशान मिटाने का फरमान जारी किया। मंदिर इतना भव्य और मजबूत था कि इसे नष्ट करने में पूरा 1 वर्ष लगा। इसके बावजूद मंदिर का अस्तित्व समाप्त नहीं किया जा सका।
कश्मीर के हालात सामान्य हो जाने के बाद एक बार फिर यहां के मंदिर सुर्खियों में है। पर्यटकों की आवाजाही शुरू हो गई है। आशा की जा रही है कि एक दिन यह मंदिर फिर से अपने पुराने स्वरूप में लौटेगा।