जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने छिंदवाड़ा के CJM, SP एवं अन्य के नाम नोटिस जारी करते हुए शराब ठेकेदार नरेंद्र जायसवाल की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। शराब ठेकेदार ने याचिका प्रस्तुत करते हुए आरोप लगाया था कि एक FIR में उनका नाम नहीं होने के बावजूद उन्हें आरोपी बना दिया गया है।
हाई कोर्ट ने इस सम्बंध में स्पष्टीकरण मांगा कि जब याचिकाकर्ता का नाम FIR में नही था, तो उसके खिलाफ प्रकरण कैसे कायम किया गया। न्यायमूर्ति पुरुषेन्द्र कौरव की एकलपीठ ने छिंदवाड़ा जिला अदालत के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी, सीजेएम व एसपी छिंदवाड़ा सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। इसी के साथ आगामी आदेश तक याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी गई है।
याचिकाकर्ता जबलपुर के नेपियर टाउन निवासी नरेंद्र जायसवाल की ओर से अधिवक्ता संजय वर्मा ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि सिवनी में याचिकाकर्ता की लायसेंसी शराब की दुकान है। छिंदवाड़ा जिले की चौरई थाना पुलिस ने अवैध शराब के मामले में नरेंद्र बाडगे नामक शख्स के खिलाफ आबकारी एक्ट का मामला दर्ज किया। FIR में याचिकाकर्ता का नाम नहीं था।
याचिकाकर्ता का इस मामले से कोई लेना-देना भी नही था। इसके बावजूद जब सात अक्टूबर, 2021 को कोर्ट में जांच अधिकारी ने फाइनल रिपोर्ट (चार्ज शीट) पेश की तो सीजेएम ने इसे मंजूर करने से इनकार कर दिया। पुलिस को फिर से जांच कर याचिकाकर्ता को भी आरोपी बनाने के आदेश दे दिए गए। इस आधार पर पुलिस ने याचिकाकर्ता के खिलाफ भी आबकारी एक्ट का प्रकरण दर्ज कर लिया।
एसडीओपी चौरई ने जबलपुर के रांझी तहसीलदार को पत्र लिखकर उक्त आदेश का हवाला देते हुए याचिकाकर्ता की चल अचल संपत्ति की जानकारी मांगी। अधिवक्ता वर्मा ने तर्क दिया कि उक्त आदेश अनुचित व अवैध है। इस तरह की कार्रवाई राज्य में सिर्फ छिड़वाडा जिले में हो रही है। प्रारम्भिक सुनवाई के बाद कोर्ट ने दलीलों से सहमत होकर याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए छिंदवाड़ा सीजेएम व अन्य को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए।