जब कोई कुटुम्ब न्यायालय या सिविल न्यायालय द्वारा कोई आदेश, डिक्री, निर्णय को पारित कर देता है एवं कोई एक पक्षकार न्यायालय के उस डिक्री या आदेश से संतुष्ट नहीं है तब क्या मजिस्ट्रेट के ऐसे न्याययिक-निर्णय को उलटने के लिए अपीलीय न्यायालय में याचिका दायर की जा सकती है या नहीं, जानिए।
सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 की धारा-144 की परिभाषा (सरल एवं संक्षिप्त रूप में)
जब कोई सिविल न्यायालय या कुटुंब न्यायालय किसी अपील या याचिका की कार्यवाही पर कोई करता है एवं याचिका का निर्णय, आदेश, डिक्री आदि से कोई एक पक्षकार को लगता है कि मजिस्ट्रेट द्वारा सुनाया गया या दी गई डिक्री त्रुटिपूर्ण हो सकती है या तथ्यों को सुना ही नहीं गया हो। तब दूसरा पक्षकार जिसे ऐसा लगता है कि आदेश डिक्री के खिलाफ सम्बंधित अपीलीय न्यायालय में याचिका दायर कर सकता है।
प्रत्यस्थापन (डिक्री उलटने) के लिए परिसीमा:-
"परिसीमा अधिनियम के अनु. 136 द्वारा शासित होता हैं। ऐसे आवेदन पत्र दाखिल करने के लिए परिसीमा काल 12 वर्ष हैं और यह अपीलीय डिक्री या आदेश की तारीख से प्रारंभ होगा। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com