जब कोई महिला अपने सुसराल में पति द्वारा या उसके नातेदार द्वारा प्रताड़ित होती है या उसे दहेज के लिए परेशान किया जाता है तब भारतीय दण्ड संहिता की धारा 498 (क) के अंतर्गत मामला दर्ज होता है लेकिन कभी-कभी ऐसा होता है कि पीड़ित महिला किसी कारण थाने में शिकायत करने नहीं जा पाती है तब क्या पीड़ित महिला के स्थान पर उसका कोई रिश्तेदार थाने या न्यायालय में जाकर मामला दर्ज करवा सकता है। पढ़िए:-
दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा 198 (क) की परिभाषा
कोई भी न्यायालय भारतीय दण्ड संहिता की धारा-498 (क) के अधीन संज्ञान जब लेगा तब:-
1. तथ्यों की पुलिस रिपोर्ट दी गई है। या
2. पीड़ित महिला द्वारा डायरेक्ट न्यायालय में परिवाद दायर किया गया हो।
लेकिन किसी कारणवश पीड़ित महिला मामला दायर करने में सक्षम नहीं है तब न्यायालय की मंजूरी से निम्न में से कोई भी व्यक्ति पीड़ित महिला के पक्ष में मामला दायर कर सकता है:- माता-पिता, भाई-बहन, मामा, बुआ, चाचा, या दत्तक भाई या रक्त से संबंधित कोई भी व्यक्ति के परिवाद पर न्यायालय संज्ञान ले सकता है।
:- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com