आम नागरिकों को पता नहीं होता है कि वह किस मजिस्ट्रेट के समक्ष आरोपी की शिकायत दर्ज करवाएं। वैसे दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 190 में हमने आपको बताया था कि कोई भी आम व्यक्ति किसी अपराध की शिकायत शिकायत मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष करेगा। लेकिन जानकारी के अभाव में व्यक्ति अन्य किसी अन्य मजिस्ट्रेट के समक्ष अपराध की शिकायत करता है तब क्या उस मजिस्ट्रेट को शिकायत लेने का अधिकार होगा या नहीं जानते हैं।
दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा-201 की परिभाषा:-
यदि कोई परिवाद (शिकायत) ऐसे मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत की जाती है जो अपराध का संज्ञान नहीं ले सकता है तब वह मजिस्ट्रेट:-
1. शिकायतकर्ता शिकायत को लिखित दे रहा है तब वह मजिस्ट्रेट उस शिकायत को परिवादी को लौटा देगा एवं उस न्यायालय में शिकायत को दर्ज करने के लिए भेजेगा जहाँ अपराध का संज्ञान लिया जाना है।
2. अगर परिवादी शिकायत को लिखित नहीं करता है तब मजिस्ट्रेट मौखिक रूप से परिवादी को निर्देश देगा कि वह इस शिकायत को समुचित न्यायालय में दायर करे।
महत्वपूर्ण जजमेंट: राजेन्द्र सिंह बनाम बिहार राज्य
उक्त मामले में न्यायालय ने आरोपी को इस आधार पर दोषमुक्त कर दिया कि उस न्यायालय को परिवाद का संज्ञान लेने की आवश्यकता नहीं थी। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com