दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 205 के अनुसार मजिस्ट्रेट किसी आरोपी को समन मामले में छूट दे सकता है, जब कोई परिस्थितियों के कारण वह नहीं आ सकता है। ऐसी स्थिति में उसकी ओर से उसका वकील मजिस्ट्रेट के समक्ष उपस्थित होकर जवाब प्रस्तुत करता है लेकिन कुछ अपराध ऐसे भी होते हैं जिसमें आरोपी को मजिस्ट्रेट के समक्ष उपस्थित होने की आवश्यकता नहीं होती है। जानते हैं वह कौनसे अपराध हैं जब व्यक्ति समन का जबाब सिर्फ डाक या संदेशवाहक द्वारा दे सकता है।
दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 206 की परिभाषा:-
जब कोई ऐसा जो छोटे अपराध की श्रेणी में आते हैं अर्थात ऐसा अपराध जिसका जुर्माना एक हजार रुपए से अधिक नहीं है या वह अपराध जो दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 320 के अंतर्गत समझौता योग्य होते हैं। ऐसे अपराधों में आरोपी की मजिस्ट्रेट से समक्ष उपस्थित होने की आवश्यकता नहीं होती है।
वह चाहे तो अपने वकील के माध्यम से अभिवचन दे सकता है या जो जुर्माना लगाया गया है उसकी राशि न्यायालय को डाक या संदेशवाहक द्वारा भेज सकता है। यह धारा शमनीय एवं छोटे अपराधों में आरोपी को न्यायालय के समक्ष उपस्थित पर छूट देती है। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com