पुलिस अधिकारी चार्जशीट को मजिस्ट्रेट को देता है या कोई व्यक्ति डायरेक्ट मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के पास कोई शिकायत करता है, तब मजिस्ट्रेट ऐसे अपराध की जाँच करवा सकता है एवं गंभीर मामले को सुनने का अधिकार सत्र न्यायालय का है। तब सारी जाँच रिपोर्ट को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, सत्र न्यायालय आरोप के विचारण के लिए भेज देगा। तब सत्र न्यायालय आरोपी व्यक्ति को उसके बचाव करने के लिए कौन-कौन से दस्तावेज निःशुल्क देगा।
दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 208 की परिभाषा:-
पुलिस रिपोर्ट से भिन्न किसी मामले का विचारण मजिस्ट्रेट द्वारा किया जा रहा है तब सत्र न्यायालय आरोप के विचारण के समय अभियुक्त को बिना विलम्ब किए हुए निम्न दस्तावेज निःशुल्क देगा:-
1. उन सभी व्यक्तियों के बयान, शपथ जिनकी परीक्षा दण्ड प्रक्रिया संहिता, 200 एवं 202 के अधीन लेखबद्ध किये गए हैं।
2. अगर पुलिस अन्वेषण के दौरान कोई बयान लेखबद्ध हो या मजिस्ट्रेट के समक्ष कोई कथन स्वीकृति कर लेखबद्ध किया गया है।
3. मजिस्ट्रेट द्वारा कोई दस्तावेज, सामग्री जिस पर आरोपी पर अभियोजन चलाया जा रहा है।
नोट:- कोई दस्तावेज या सामग्री विशालतम हैं जिसकी प्रतिलिपि दी नहीं जा सकती है तब आरोपी स्वयं या उसके वकील के साथ ऐसे दस्तावेज का निरीक्षण कर सकते हैं।
【दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 207 में मजिस्ट्रेट पुलिस रिपोर्ट को आरोपी को देता है एवं धारा 208 में पुलिस की रिपोर्ट के साथ मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की जाँच रिपोर्ट भी अरोपी को अपने बचाब के लिए दी जाएगी।】:- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com