कहते हैं अच्छी सरकार वह होती है जो अमीरों से टैक्स ले और गरीबों को सहायता दे लेकिन यदि हम वाहनों पर लगने वाले टैक्स पर ध्यान देते हैं तो अच्छी सरकार का फार्मूला फेल होता दिखाई देता है। परिवहन विभाग द्वारा रोड टैक्स तो वाहन की कीमत पर लिया जाता है लेकिन टोल टैक्स वाहन के वजन पर वसूला जाता है। एक ही वाहन पर टैक्स की दोहरी प्रणाली क्यों। आइए पता लगाते हैं:-
रोड टैक्स वाहन की कीमत पर क्यों लगाया जाता है
भारत में रोड टैक्स की शुरुआत उस समय हुई थी जब मान्यता थी कि अमीरों से टैक्स लेकर गरीबों की मदद की जाए। यही कारण था कि वाहन की कीमत पर एक निर्धारित प्रतिशत में टैक्स लिया जाता था। इस टैक्स के बदले सरकार सड़कों का निर्माण करती थी। जिस पर सभी प्रकार के वाहन चलाए जा सकते थे। रोड टैक्स राज्य सरकार द्वारा लिया जाता है। आपके टैक्स से वह सड़कें भी बनाई जाती हैं जिन पर आप कभी नहीं चलते। सरकार अपनी मर्जी के हिसाब से सड़कों का निर्माण करती है। टैक्स देने वाले वाहनों की संख्या अथवा उनके लिए उपयोगी मार्ग का ध्यान रखना सरकार की कानूनी बाध्यता नहीं है।
टोल टैक्स वाहन के वजन पर क्यों लगता है
बहुत कम लोग जानते हैं कि भारत में टोल टैक्स की शुरुआत सन 1956 में हो गई थी।THE NATIONAL HIGHWAYS ACT, 1956 ACT NO. 48 OF 1956 [11th September, 1956] ज्यादातर लोग केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को टोल टैक्स का देवता मानते हैं, क्योंकि इनके समय में सबसे ज्यादा टोल टैक्स बूथ की स्थापना की गई। 21वीं सदी की शुरुआत के साथ ही ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में एक क्रांति शुरू हुई। हर महीने वाहनों के नए मॉडल लांच होने लगे। वाहनों की हाई स्पीड में लगातार वृद्धि होती जा रही है। वाहनों को लग्जरी बनाया जा रहा है। केवल यात्रा नहीं बल्कि तेज और आरामदायक लेकिन सुरक्षित यात्रा की डिमांड शुरू हो गई थी।
रोड टैक्स से राज्य सरकारों को इतनी रकम प्राप्त नहीं हो रही थी कि वह अत्याधुनिक मोटर वाहनों के लिए अच्छी सड़कें बना पाती। यदि रोड टैक्स बढ़ाया जाता तो जनता का भारी विरोध सामने आ सकता था। वाहन मालिक और सरकारी परिवहन विभाग के बीच ग्राहक और सेवा प्रदाता जैसा रिश्ता बन गया है। वाहन मालिकों का सवाल होता था कि जो सड़क पर हमको चलना ही नहीं है, उसको बनाने के लिए टैक्स हम क्यों दें। इसीलिए टोल टैक्स की शुरुआत की गई।
पूरे देश में कुछ ऐसी सड़कें बनाई जा रही हैं जहां लग्जरी वाहनों के लिए हाई स्पीड, आरामदायक लेकिन सुरक्षित यात्रा का प्रबंध है। तमाम प्रबंधन के लिए सड़क बनाना पर्याप्त नहीं है। उसकी नियमित मरम्मत की जरूरत होती है। टोल टैक्स की वसूली सड़क के उस स्पेशल टुकड़े को बनाने और मेंटेन करने के लिए की जाती है। यदि आप उस सड़क पर नहीं जाएंगे तो आपका टोल टैक्स भी नहीं लगेगा। क्योंकि टैक्स रोड के मेंटेनेंस के लिए वसूला जाता है इसलिए जो वाहन, सड़क को ज्यादा डैमेज करते हैं उनसे ज्यादा टैक्स वसूला जाता है। जिन वाहनों से सड़क को नुकसान की संभावना कम होती है, उन से कम टैक्स वसूला जाता है।
हालांकि, लोग सवाल कर सकते हैं कि यदि हम लग्जरी वाहनों के लिए बनाई गई स्पेशल रोड पर चलना नहीं चाहते तो हमसे हमारी पुरानी सड़क क्यों छीन ली गई। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article (general knowledge in hindi, gk questions, gk questions in hindi, gk in hindi, general knowledge questions with answers, gk questions for kids, ) :- यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com