ग्वालियर। यह बड़ी ऐतिहासिक घटना है। सन 1857 से लेकर 26 दिसंबर 2021 तक लक्ष्मीबाई को अपना शत्रु मानने वाला सिंधिया राजपरिवार, लक्ष्मी बाई की शरण में पहुंच गया है। सिंधिया राजवंश के मुखिया ज्योतिरादित्य सिंधिया ने लक्ष्मी बाई की समाधि पर जाकर माथा टेका और हाथ जोड़े।
सिंधिया राजवंश को देश का गद्दार कहा जाता है
इतिहासकारों द्वारा ग्वालियर के सिंधिया राजवंश को देश का गद्दार कहा जाता है। कई किताबों में दावा किया गया है कि यदि सन 1857 में ग्वालियर के महाराजा सिंधिया, तात्या टोपे और रानी लक्ष्मीबाई का साथ दे देते तो भारत उसी समय स्वतंत्र हो जाता। यदि रानी लक्ष्मी बाई की हत्या करवाने के लिए अंग्रेजों की सेना नहीं बुलाते तब भी भारत स्वतंत्र हो जाता लेकिन ग्वालियर के महाराजा सिंधिया ने सन 1857 की क्रांति में अंग्रेजों का साथ दिया और इसके कारण अंग्रेजी सेना ने सैकड़ों क्रांतिकारियों को मौत के घाट उतार दिया।
रानी लक्ष्मीबाई को अपना दुश्मन मानता था सिंधिया राजवंश
सन 1947 से पहले 1857 की क्रांति को अंग्रेजी सरकार द्वारा विद्रोह करार दिया गया था। भारत की आजादी के बाद तात्या टोपे और लक्ष्मीबाई सहित उनके सभी साथी सैनिकों को क्रांतिकारी माना गया। इसके बावजूद सिंधिया राजवंश ने कभी 1857 के क्रांतिकारियों का सम्मान नहीं किया। कुछ पुराने लोगों को याद होगा, दिल्ली दूरदर्शन पर चलने वाला एक लोकप्रिय सीरियल इसलिए बंद करवा दिया गया था क्योंकि उसमें लक्ष्मी बाई की हत्या का षड्यंत्र दिखाया जाने वाला था।
माथा टेकने से माफी मिल जाएगी क्या
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी में ऐसे हजारों जमीनी कार्यकर्ता हैं जो ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में शामिल हो जाने के बावजूद उन्हें लक्ष्मीबाई और उनके साथी सैनिकों की हत्या का दोषी मानते हैं। कहा जा रहा है कि उन्हीं के दबाव के कारण ज्योतिरादित्य सिंधिया को अचानक लक्ष्मी बाई की समाधि पर माथा टेकना पड़ा। सवाल यह है कि क्या केवल माथा टेकने से माफी मिल जाएगी। ग्वालियर की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया GWALIOR NEWS पर क्लिक करें.
ग्वालियर में केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने रविवार को ग्वालियर में झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई को नमन कर सबको चौंका दिया। उन्होंने झांसी की रानी लक्ष्मीबाई जी को पुष्पांजलि अर्पित की और कुछ देर रूककर वहां से चले गए।@JM_Scindia @uffyeh1 @1970_anurag pic.twitter.com/GLEQbj3kdQ
— विनीत रिछारिया (@vinnetmonu) December 27, 2021