नई दिल्ली। भारत के वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में एक प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि पुलिस कर्मचारियों जैसे संवेदनशील ग्राहकों को होम लोन देने से किसी ने मना नहीं किया है। केंद्र सरकार की तरफ से ऐसे कोई निर्देश जारी नहीं हुए। उन्होंने कहा कि बैंकों को कुछ श्रेणी के ग्राहकों को ऋण नहीं देने का निर्देश देने की कोई "आधिकारिक नीति" नहीं है।
लोन के मामले में बैंक अपने विवेक पर फैसला करते हैं: वित्त मंत्री
वित्त मंत्री ने कहा कि, "बैंक केवाईसी और अन्य रेटिंग के आधार पर आकलन करते हैं। मैं नहीं समझती कि बैंकों को ऐसा कोई विशेष निर्देश दिया गया है कि कृपया इन लोगों को ऋण नहीं दें।’’ उन्होंने कहा कि बैंक अपने उपलब्ध केवाईसी (अपने ग्राहक को जानें) के आधार पर अपने विवेक से फैसला करते हैं।
पुलिस और नेताओं को लोन देने से बैंक को समस्याएं: वित्त राज्य मंत्री
वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड ने कहा कि बैंकों को पुलिस और नेताओं को ऋण देने में "समस्याएं" हैं। उन्होंने कहा कि बैंक ऐसे ग्राहकों को कर्ज देने से पहले उनका ‘ट्रैक रिकॉर्ड’ देखते हैं। वे राजनीति से जुड़े लोगों (पीईपी) को बैंकों द्वारा कथित तौर पर ऋण नहीं देने के बारे पूछे गए सवालों का जवाब दे रहे थे।
कराड ने कहा कि आवास ऋण मुख्यत: बैंकों तथा आवास वित्त कंपनियों (एचएफसी) के रूप में पंजीकृत कुछ गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों (एनबीएफसी) के द्वारा दिए जाते हैं और इन संस्थाओं को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा विनियमित किया जाता है। भारत की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया Hindi Samachar पर क्लिक करें.