नई दिल्ली। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि पत्रकार को धमकाने के लिए किसी भी राज्य सरकार को अपनी ताकत का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी करते हुए पश्चिम बंगाल में एक न्यूज़ पोर्टल के खिलाफ दर्ज किए गए मामले को खारिज कर दिया।
विचारों की विभिन्नता ही भारतीय लोकतंत्र की पहचान: SC
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एसके कौल की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि देश विभिन्नताओं वाला देश है और यह अपने आप में महान है। इस देश में अलग-अलग मान्यताएं और मत हैं। राजनीतिक मत भी अलग-अलग हैं। यह हमारे लोकतंत्र की पहचान है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि स्टेट गवर्नमेंट फोर्स का इस्तेमाल कभी भी राजनीतिक या जर्नलिस्ट के ओपिनियन को दबाने के लिए नहीं किया जाना चाहिए। इसका मतलब यह भी नहीं है कि इन्हें कुछ भी बोलने का अवसर मिल गया है जिससे कि समाज में परेशानी पैदा हो।
न्यूज़ पोर्टल के एडिटर और यूट्यूब के खिलाफ केस वापस
सुप्रीम कोर्ट में पश्चिम बंगाल की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ दवे ने बताया कि पश्चिम बंगाल सरकार ने इंग्लिश भाषा के एक न्यूज पोर्टल के एडिटर के खिलाफ दर्ज केस वापस लेने का फैसला किया है। साथ ही यू ट्यूबर के खिलाफ दर्ज केस वापस लेने का फैसला हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही कहा कि हम यह भी जोड़ना चाहते हैं कि पत्रकारों की भी जिम्मेदारी है कि वह किसी मामले को कैसे रिपोर्ट करें खासकर तब जबकि यह टि्वटर का दौर है, ऐसे में उन्हें ज्यादा जिम्मेदार होना चाहिेए। भारत की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया Hindi Samachar पर क्लिक करें.