दिनांक 21 दिसंबर 2021, भगवान सूर्य देव की दिशा परिवर्तन का दिन है। भारतीय समय अनुसार रात्रि 9:27 बजे सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करके दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाएंगे। इसी के साथ शिशिर ऋतु प्रारंभ हो जाएगी। उल्लेखनीय है कि सूर्य 6 महीने तक उत्तरायण और 6 महीने तक दक्षिणायन रहते हैं।
शिशिर ऋतु में क्या होता है
भारत की छ: ऋतुओं में से एक ऋतु (शिशिर ऋतु) है। विक्रमी संवत के अनुसार माघ और फाल्गुन 'शिशिर' अर्थात पतझड़ के मास हैं। इसका आरम्भ मकर संक्रांति से भी माना जाता है। शिशिर में कड़ाके की ठंड पड़ती है। घना कोहरा छाने लगता है। दिशाएं धवल और उज्ज्वल हो जाती हैं मानो वसुंधरा और अंबर एकाकार हो गए हों। ओस से कण-कण भीगा जाता है।
उत्तरायण सूर्य में क्या-क्या किया जाता है
उत्तरायण सूर्य को देवताओं का दिन एवं दक्षिणायन सूर्य को देवताओं की रात्रि माना गया है। इसलिए उत्तरायण सूर्य में सभी प्रकार के शुभ कार्य किए जाते हैं। भीष्म पितामह ने प्राण त्यागने के लिए सूर्य के उत्तरायण होने की प्रतीक्षा की थी।उत्तरायण सूर्य में धार्मिक अनुष्ठान, देव प्रतिष्ठा, मुंडन आदि कार्य करना विशेष शुभ फलप्रद माना जाता है। सनातन धर्म में उत्तरायण को शुभ और प्रकाश का प्रतीक माना जाता है।
साल का सबसे बड़ा दिन और सबसे बड़ी रात कब आते हैं
मकर रेखा दक्षिण गोलार्द्ध में है और वह सूर्यदेव की दक्षिण की लक्ष्मण रेखा है। 22 दिसंबर को ही उत्तरी गोलार्द्ध में सबसे लंबी रात होती है। इसके अगले दिन यानी 23 दिसंबर से दिन धीरे-धीरे बड़ा होने लगता है और ये क्रम 21 जून पर खत्म होता है। 21 जून साल का सबसे बड़ा दिन होता है। इस हिसाब से देखा जाए तो सूर्य का उत्तरायण 22 या 23 दिसंबर के बीच होता है जो कि मकर संक्रांति से करीब तीन हफ्ते पहले है। भारत की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया Hindi Samachar पर क्लिक करें