कई मनुष्यों के साथ ऐसा होता है। उनके पास पर्याप्त योग्यता एवं क्षमता होती है। वह पर्याप्त कर्म भी करते हैं परंतु यथोचित फल प्राप्त नहीं होता। कहते हैं कि भाग्य साथ नहीं देता। ऐसी स्थिति में कुछ लोग डिप्रेशन में चले जाते हैं और कुछ जीवन भर संघर्ष करते रहते हैं। शास्त्रों में ऐसी स्थिति से मुक्ति के लिए सरल उपाय बताए गए हैं।
विष्णुरेकादशी गीता तुलसी विप्रधेनव:।
असारे दुर्गसंसारे षट्पदी मुक्तिदायिनी।।
इस श्लोक में 6 बातें बताई गई हैं। यदि दैनिक जीवन में इनका पालन करेंगे तो योग्यता एवं क्षमता के अनुसार कार्य प्राप्त होगा और कर्म का उचित फल भी प्राप्त होगा। ऐसे जातकों को प्रतिदिन प्रातः काल दैनिक क्रिया से निवृत्त होकर नियमित रूप से भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा करनी चाहिए इसके साथ निम्नानुसार उपाय करना चाहिए।
श्रीमद भगवत गीता का पाठ
मान्यता है कि यदि आप श्रीमद भगवत गीता का पाठ करते हैं वह भगवान श्री कृष्ण की चमत्कारी कृपा के पात्र होते हैं। प्रतिदिन श्रीमद भगवत गीता के 1 श्लोक का पाठ करने से जीवन की सभी समस्याओं का समाधान प्राप्त होता जाता है। सफलताएं प्राप्त होने लगती हैं। जीवन में संघर्ष की स्थिति खत्म हो जाती है।
तुलसी के पौधे की देखभाल
तुलसी के पौधे को माता लक्ष्मी का साक्षात स्वरूप माना गया है। भारत के प्रत्येक आस्था वादी घर में तुलसी के पौधे की स्थापना अनिवार्य रूप से की जाती है। मान्यता है कि तुलसी के पौधे की देखभाल करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और श्री हरि विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाती है। सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि होती है। पूरे परिवार को देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है।
ब्राह्मण का सम्मान
ऐसा व्यक्ति जो जनेऊ धारण करें एवं पंचांग का पालन करें, ब्राह्मण कहलाता है। शास्त्रों में ब्राह्मण को सदैव आदरणीय बताया गया है। ब्राह्मण का अपमान करने अथवा ब्राह्मण के प्रति दुर्भावना रखने से जीवन में दुख प्राप्त होते हैं। अतः ब्राह्मण का सदैव सम्मान करना चाहिए।
गाय की सेवा
उपरोक्त श्लोक में गाय की सेवा को दैनिक जीवन का महत्वपूर्ण कार्य बताया गया है। शास्त्रों में उल्लेख है कि जिस घर में गाय का निवास होता है। वहां सभी देवता निवास करते हैं। यदि गाय का पालन नहीं कर सकते तो गौशालाओं में अथवा पशुपालकों द्वारा मुक्त कर दी गई गायों को चारा खिलाकर उनकी सेवा की जा सकती है।