अपन सभी जानते हैं कि जीवित रहने के लिए भोजन प्राप्त करना भारत में नागरिक का मौलिक अधिकार है। निर्धन नागरिकों को संविधान ने राज्य सरकार से आश्रय प्राप्त करने का अधिकार दिया है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 में भारत के नागरिकों के मौलिक अधिकारों के बारे में उल्लेख किया गया है। इन अधिकारों का हनन किसी भी कानून और कार्रवाई के द्वारा नहीं किया जा सकता।
वर्तमान युग में जीवन के लिए जितना आवश्यक पानी और ऑक्सीजन है उतनी ही बिजली भी जरूरी हो गई है। बिजली के बिना जीवित रहना मुश्किल हो गया है। सवाल यह है कि क्या बिजली प्राप्त करना भी भारत में नागरिक का मौलिक अधिकार है। आइए इस बारे में हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण जजमेंट पढ़ते हैं:-
हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण जजमेंट: एमके आचार्य बनाम CMD वेस्ट बंगाल स्टेट डिस्ट्रीब्यूशन के लिमिटेड
उक्त मामले में कलकत्ता उच्च न्यायालय ने यह अभिनिर्धारित किया कि बिजली पाने का अधिकार अनुच्छेद 21 के अंतर्गत दैहिक स्वतंत्रता में आता है क्योंकि वर्तमान समय में बिना बिजली के जीवित रहना संभव नहीं होता है। इसलिए नागरिक को बिजली पाने से वंचित नहीं किया जा सकता है। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com