यह तो सभी जानते हैं कि भारत में अपने घर, फैक्ट्री, कंपनी, ऑफिस आदि निजी संस्थानों में नागरिक राष्ट्रीय ध्वज फहराने का अधिकार प्रत्येक नागरिक को है परंतु क्या आप जानते हैं कि आजादी के 55 साल तक भारत के नागरिकों को यह अधिकार प्रदान नहीं किया गया था। तिरंगा फहराने पर कानूनी कार्रवाई हो जाती थी। केवल सरकारी भवन पर ही तिरंगा फहराया जाता था। आइए पढ़ते हैं, कब और किस कानून के तहत भारत के सभी नागरिकों को राष्ट्रध्वज फहराने का अधिकार मिला।
भारत संघ बनाम नवीन जिन्दल:-
उक्त मामले में उच्चतम न्यायालय ने यह अभिनिर्धारित किया कि अपने मकान पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने का प्रत्येक नागरिक का अनुच्छेद 19 (1) (क) के अधीन एक मूल अधिकार है किन्तु यह अधिकार आत्यंतिक नहीं है एवं इस पर अनुच्छेद 19 (1) (क) के खण्ड (2) के अंतर्गत युक्तियुक्त रोक लगाए जा सकते है।
मामले में प्रत्यर्थी नवीन जिंदल ने अपने कारखाने के परिसर में स्थित ऑफिस पर राष्ट्रीय ध्वज लगाया था। इसे सरकार ने इसलिए रोक दिया था क्योंकि यह भारत के फ्लैग कोड के अंतर्गत वर्जित था।
न्यायालय ने निर्णय दिया कि अपने मकान पर राष्ट्रीय ध्वज फहराना अनु. 19 (1) (क) के अधीन मूल अधिकार है। क्योंकि इसके माध्यम से वह राष्ट्र के प्रति अपनी भावनाओं ओर वफादारी के भाव का प्रकटीकरण करता है। फ्लैग कोड यद्यपि अनु. 13 (3) (क) के अधीन "विधि, नहीं है किन्तु इसमें विहित मार्गदर्शक सिद्धांत जो राष्ट्रीय ध्वज के आदर और गरिमा को संजोये रखने के लिए उपबन्धित हैं को मानना आवश्यक है एवं राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करना प्रत्येक नागरिक का मूल कर्तव्य है।
आजादी के 55 साल तक किसी ने आवाज नहीं उठाई
आश्चर्यजनक बात यह है कि भारत की स्वतंत्रता दिनांक 15 अगस्त 1947 से लेकर 26 जनवरी 2002 तक नवीन जिंदल के अलावा किसी ने उस सरकारी नियम (भारतीय झंडा संहिता) के खिलाफ आवाज नहीं उठाई, जिसके कारण आम नागरिकों को अपने देश का राष्ट्र ध्वज फहराने की स्वतंत्रता छीन ली गई थी।
कौन है नवीन जिंदल
नवीन जिंदल भारत के एक प्रतिष्ठित इंडस्ट्रियलिस्ट और पूर्व सांसद हैं। राष्ट्रीय ध्वज के लिए नवीन जिंदल का जुनून संयुक्त राज्य अमेरिका में टेक्सास विश्वविद्यालय में अपने छात्र जीवन के दौरान शुरू हुआ। 1992 में भारत वापस आने के बाद, नवीन ने अपने कारखाने में पर हर दिन तिरंगा फहराना शुरू कर दिया। उन्हें जिला प्रशासन ने ऐसा करने मना किया और दण्डित करने की चेतावनी भी दी गई।
नवीन जिंदल को यह बात अखर गई वह खुद और भारत के नागरिकों को अपने राष्ट्र ध्वज को निजी तौर पर फहराने के अधिकार को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया और अंत में देश की सबसे बड़ी अदालत ने इनके पक्ष फैसला दिया। नवीन जिंदल द्वारा लड़ी गई सात सालों की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था जिसमें कहा गया था कि देश के प्रत्येक नागरिक को आदर, प्रतिष्ठा एवं सम्मान के साथ राष्ट्रीय ध्वज फहराने का अधिकार है और इस प्रकार यह प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार बना है।
इस फैसले के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल ने फ्लैग कोड में संशोधन किया था। कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार को आदेश दिया की वह इस विषय को गंभीरता से ले और “फ्लैेग कोड” में संशोधन भी करें। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से 26 जनवरी 2002 से भारत सरकार फ्लैग कोड में संशोधन कर भारत के सभी नागरिकों को किसी भी दिन राष्ट्र ध्वज को फहराने का अधिकार दिया गया। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com