जब सरकार कोई कानून या अध्यादेश लाती है और विपक्षी राजनीतिक दलों द्वारा उस प्रस्तावित कानून के विरोध में देशव्यापी आयोजन कर भारत-बंद का आह्वान किया जाता है। क्या ऐसा भारत बन्द या आयोजन करना राजनीतिक दलों का संवैधानिक अधिकार है या नहीं जानते हैं। पढ़िए
सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी बनाम भारत कुमार एवं अन्य
उच्चतम न्यायालय की तीन सदस्यीय पीठ ने केरल उच्च न्यायालय के निर्णय की पुष्टि करते हुए यह अभिनिर्धारित किया कि राजनीतिक दलों द्वारा बन्द का आयोजन करना असंवैधानिक एवं अवैध हैं।
उच्चतम न्यायालय ने यह अभिनिर्धारित किया कि कोई भी राजनीतिक दल या संगठन यह दावा नहीं कर सकता है कि वह देशभर में उद्योग एवं वाणिज्य को पंगु बना सकता है और उनके मत से सहमत न होने वाले नागरिकों को अपने मूल अधिकारों के प्रयोग करने या राज्य के प्रति अपने कर्तव्यों को पालन करने से रोक सकता है
न्यायालय ने राजनीतिक दल के इस तर्क को भी मानने से इंकार कर दिया कि अनुच्छेद 226 के अधीन इसके विरुद्ध कोई उपचार प्रदान नहीं किया जा सकता है। न्यायालय ने कहा कि न्यायालय को पीटीशनरो को घोषणात्मक उपचार प्रदान करने की पर्याप्त अधिकारिता प्राप्त है क्योंकि उनका मामला मूल अधिकारों के उल्लंघन से संबंधित है।
राज्य ने बन्द को रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया था, इसको देखते हुए न्यायालय ने कहा कि उसे बंद के आह्वान एवं आयोजन को असंवैधानिक घोषित करने की पर्याप्त अधिकारिता हैं क्योंकि बन्द राष्ट्र के हित में नहीं है और उत्पादन में कमी करके राष्ट्र की प्रगति को अवरुद्ध करता।
न्यायालय ने यह भी कहा कि हम प्राइवेट और पब्लिक संपत्ति के विनाश की अपेक्षा नहीं कर सकते हैं, जब राजनीतिक दलों या संगठनों द्वारा बन्द लागू किया जाता है। हम इस मत के है कि जो राजनीतिक दल या संगठन ऐसे बंद का आह्वान आयोजित करते है नागरिकों को इसके परिणामस्वरूप पहुंची हानि के लिए वे राज्य को प्रतिकर देने के लिए दायी है। एवं राज्य ऐसे बन्द के परिणामस्वरूप हुई हानि की क्षतिपूर्ति के लिए कदम उठाने के दायित्व से मुक्त नहीं हो सकता है।
अतः स्पष्ट होता है कि राजनीतिक दलों द्वारा किया गया भारत-बंद का आह्वान या बंद का आयोजन असंवैधानिक होगा। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com