कहते हैं न्याय सबके लिए है, चाहे वह धनी व्यक्ति हो या निर्धन किसी को न्याय से वंचित नहीं किया जा सकता है एवं किसी निर्धन (गरीब) व्यक्ति को न्याय से इसलिए भी वंचित नहीं किया जा सकता कि उसके पास न्यायिक प्रक्रिया के संचालन के लिए आवश्यक धन नहीं है। यही समाजवादी समाज की रचना का मूल सिद्धांत है और इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए संहिता में निर्धन व्यक्तियों के लिए विशेष व्यवस्था की गई है जानिए।
सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 का आदेश क्रमांक 44 की परिभाषा
अगर कोई निर्धन व्यक्ति किसी अपील करने का हकदार हैं एवं वह न्यायालय की फीस नहीं दे सकता है वह व्यक्ति उन सभी बातों को आवेदन में लिख कर वह न्यायालय की फीस क्यों नहीं दे रहा है। न्यायालय द्वारा अपील करने की आज्ञा प्राप्त कर सकता है। अर्थात आदेश 44 निर्धन व्यक्ति को न्यायालय की फीस माफ करने के लिए बनाया गया है।
नोट:- अगर कोई निर्धन व्यक्ति किसी डिक्री, आदेश, निर्णय आदि से संतुष्ट नहीं है तब वह अपील को अपीलीय न्यायालय में अगर उच्च न्यायालय है तब 60 दिन के भीतर एवं अन्य किसी न्यायालय में 30 दिनों के भीतर अपील की जा सकती है। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com