भोपाल। आज फिर एक अतिथि विद्वान, प्रदेश सरकार की कुव्यवस्था की बलि चढ़ गया है। रोता बिलखता परिवार, मासूम बच्चे, बूढ़े माता पिता व असहाय पत्नी, यह वो विरासत है जो एक उच्च शिक्षित अतिथि विद्वान प्रदेश की उच्च शिक्षा विभाग के उदासीन रवैये व शोषणकारी अतिथिविद्वान व्यवस्था के कारण अपने परिवार के लिए पीछे छोड़ गया है।
प्रदेश के सरकारी महाविद्यालयों के पठन पाठन की ज़िम्मेदारी संभालते हुए ये अतिथि विद्वान किस तरह बदहाल ज़िंदगी जीने को मजबूर है। लगातार होती अतिथि विद्वानों की आत्महत्याएं, तनावग्रसित होकर दुर्घटनाओं व मानसिक व शारीरिक व्याधियों का शिकार हो रहे अतिथि विद्वान शिवराज सरकार की पारदर्शिता व उनकी तथाकथित लोक कल्याणकारी सरकार के मुँह पर तमाचे के समान है।
शासकीय महाविद्यालय बेगमगंज में अतिथि विद्वान क्रीड़ाधिकारी के पद पर पदस्थ डॉ गोपाल प्रसाद डेहरिया कुछ दिन पहले अपने पूर्व कालेज सुल्तानपुर अपने कर्तव्य पर जाते हुए दुर्घटना का शिकार हुए। जिनकी ओजस अस्पताल भोपाल में सर्जरी की गई किंतु उन्हें बचाया नही जा सका।
महाविद्यालयीन अतिथि विद्वान महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ देवराज सिंह ने कहा है कि लगातार होती अतिथि विद्वानों की मौतें शिवराज सरकार की संवेदनशीलता व उसकी विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह लगाने वाली है। कर्तव्य पथ पर जाते अपने प्राणों की आहुति देने वाले गोपाल डेहरिया के परिवार का अब क्या होगा। एक वर्ष की उनकी दो दुधमुंही बच्चियों का लालन पालन किस प्रकार होगा, यह यक्ष प्रश्न है। यदि सरकार की अतिथि विद्वानों के प्रति कोई संवेदना या बेहतर नीति होती तो शायद उनके परिवार को यह दिन नही देखने पड़ते।
महाविद्यालयीन अतिथि विद्वानों के लिए बने बेहतर नीति
अतिथि विद्वान महासंघ के प्रदेश प्रवक्ता डॉ मंसूर अली ने कहा है कि दो दशक बीत जाने के बाद भी सरकार अब तक अतिथि विद्वानों के लिये कोई बेहतर नीति नही बना पाई है।जिससे उच्च शिक्षा के साथ साथ अतिथिविद्वानों का भी कल्याण हो सके। जबकि भाजपा शासित कई राज्यों जैसे हरियाणा, हिमांचल प्रदेश के साथ साथ राजस्थान, त्रिपुरा पंजाब इत्यादि राज्यों में सरकारों ने अतिथिविद्वानों के लिए कल्याणकारी नीति बनाकर उनका भविष्य सुरक्षित किया है।
डॉ मंसूर अली का कहना है कि कोरोना काल मे महंगाई अपने चरम पर है।रोज़मर्रा की चीज़ों के दाम 30% तक बढ़ चुके हैं,किंतु अतिथिविद्वानों को अब तक कुछ नही दिया गया है।अब समय आ गया है कि शिवराज सरकार अतिथिविद्वान व्यवस्था में बड़ा परिवर्तन करते हुए नियमितीकरण होने तक स्पष्ट नीति लाये जिसमें फिक्स मानदेय,छुट्टियों की पात्रता व अन्य लाभ दिए जाएं।जिससे अतिथि विद्वान तनावमुक्त होकर पठन पाठन कर सकें।
आखिर क्यों नियमितीकरण का वादा भूले शिवराज
संघ के प्रदेश मीडिया प्रभारी डॉ आशीष पांडेय का कहना है कि 2019 के अतिथिविद्वानों के शाहजहानी पार्क आंदोलन में आकर शिवराज सिंह चौहान ने तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ पर आरोप लगाते हुए कहा था कि अतिथिविद्वान एक पारदर्शी प्रक्रिया के तहत राज्यस्तरीय मेरिट के आधार पर नियुक्त होते हैं। जिनका नीति बनाकर नियमितीकरण किया जा सकता है तथा सत्ता में आने पर इस विषय पर कार्यवाही की बात शिवराज सिंह चौहान ने कही थी किंतु सत्ता प्राप्ति के बाद यह वादा भी हवा होता दिखाई पड़ रहा है।सत्ता मिले दो साल पूरा होने को है किंतु शिवराज सरकार ने इस ओर कोई रूचि अब तक नही दिखाई है जो कि बहुत दुर्भाग्यपूर्ण और शिवराज सरकार की विश्वसनीयता पर बट्टा लगाने वाली है।
अतिथिविद्वानों ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को वादा याद दिलाते हुए कहा है कि हमारे साथी एक एक कर असमय काल कवलित हो रहे हैं। शिवराज अपना वादा पूरा करे अन्यथा अतिथि विद्वान कांग्रेस सरकार की चूलें हिलाने वाले शाहजहानी पार्क आंदोलन की पुनरावृत्ति करने से पीछे नही हटेंगे। मध्यप्रदेश कर्मचारियों से संबंधित महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया MP karmchari news पर क्या करें.