भोपाल। आउटसोर्स कर्मचारियों पर अत्याचार का आलम देखिए। व्यवसायिक प्रशिक्षकों को in-service ट्रेनिंग के लिए लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा बुलाया जाता है। जब कर्मचारी कोविड-19 के कारण प्रशिक्षण की तारीख बदलने का निवेदन करते हैं तो नियोक्ता कंपनी ऐसे कर्मचारी की सेवा समाप्त करने की कार्रवाई शुरू कर देती है। तर्क दिया जाता है कि डिपार्टमेंट से डायरेक्ट बात क्यों की। सवाल यह है कि डिपार्टमेंट ने डायरेक्ट बात क्यों की। डिपार्टमेंट को आउटसोर्स कंपनी के माध्यम से कर्मचारियों को बुलाना चाहिए था।
मामला लोक शिक्षण संचालनालय की अपर संचालक कामना आचार्य के द्वारा आउटसोर्स कर्मचारी के निवेदन पर मात्र 15 मिनट में किए गए अव्यवहारिक और कर्मचारियों को ठेस पहुंचाने वाले रिप्लाई का है। लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा व्यवसायिक शिक्षकों को इन सर्विस ट्रेनिंग के लिए दिनांक 21 दिसंबर से दिनांक 30 दिसंबर तक बुलाया गया है। कर्मचारियों ने डीपीआई से विनम्रता पूर्वक निवेदन किया था कि कोविड-19 के खतरे को देखते हुए ट्रेनिंग की तारीख आगे बढ़ा दी जाए। मात्र 15 मिनट में अपर संचालक कामना आचार्य ने रिप्लाई किया कि if you are not interested in work. pl leave the job.
आउटसोर्स कर्मचारियों ने जब इस तरह की प्रतिक्रिया को अनुचित माना (कोई प्रदर्शन या शिकायत नहीं की), केवल आपस में चर्चा की, तो नियोक्ता कंपनी (Mosaic work skills company) ने धमकी भरा मैसेज व्यवसायिक प्रशिक्षकों के व्हाट्सएप ग्रुप पर डाल दिया। इसमें लिखा है कि कोई भी व्यवसायिक शिक्षक RMSA को डायरेक्ट मेल नहीं करेगा। जिन लोगों ने मेल किया है उन्हें कंपनी द्वारा हटाया जा रहा है। यदि भविष्य में कोई RMSA को डायरेक्ट मेल करेगा तो आप को तत्काल प्रभाव से हटा दिया जाएगा।
सरल सवाल- RMSA आउट सोर्स कर्मचारियों को डायरेक्ट आदेश क्यों देता है
यदि कंपनी को आउटसोर्स कर्मचारियों द्वारा डिपार्टमेंट से सीधे निवेदन करने पर आपत्ति है तो डिपार्टमेंट द्वारा कर्मचारियों को डायरेक्ट आदेश देने पर आपत्ति क्यों नहीं है। कंपनी द्वारा डिपार्टमेंट के अधिकारियों को आउटसोर्स कर्मचारियों का शोषण करने का अधिकार दे दिया गया, लेकिन आउटसोर्स कर्मचारियों को निवेदन करने की स्वतंत्रता भी नहीं दी जा रही है। कंपनी को अपर संचालक कामना आचार्य से पूछना चाहिए कि उन्होंने नियम विरुद्ध प्राप्त हुए निवेदन पर रिप्लाई क्यों किया, उसे उसी समय कंपनी मैनेजमेंट के पास फॉरवर्ड क्यों नहीं किया।शायद कंपनी का मैनेजमेंट भूल गया है कि भारत में कर्मचारियों का प्रबंधन श्रम कानूनों के तहत होता है। मनचाही एचआर पॉलिसी नहीं बनाई जा सकती।
आउटसोर्स कर्मचारियों को दूध में मक्खी की तरह नहीं निकाल सकते
सुप्रीम कोर्ट स्पष्ट कर चुका है कि शासन के लिए काम करने वाला व्यक्ति कर्मचारी होता है। कर्मचारी के स्थाई और अस्थाई होने से उसके महत्व में अंतर नहीं आता। किसी भी आउट सोर्स कर्मचारी को बिना पूरी प्रक्रिया का पालन किए और बिना उचित कारण के सेवा से हटाया नहीं जा सकता। कर्मचारी को नोटिस देना होगा, सुनवाई का अवसर देना होगा, डिसीजन के विरुद्ध अपील का अधिकार देना होगा। मध्यप्रदेश कर्मचारियों से संबंधित महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया MP karmchari news पर क्या करें.