जबलपुर। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने छतरपुर कलेक्टर के उस आदेश को मनमानी बताते हुए, पालन पर रोक लगा दी है जिसमें छतरपुर कलेक्टर ने एक सरपंच को पद से हटा दिया था। हाईकोर्ट ने छतरपुर कलेक्टर से पूछा है कि किस हैसियत से उन्होंने यह आदेश जारी किया।
न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल ने कलेक्टर के आदेश पर रोक लगा दी। इसके साथ ही कोर्ट ने पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, कलेक्टर छतरपुर, जिला पंचायत के सीईओ, जनपद पंचायत सीईओ व एसडीओ राजस्व को नोटिस जारी कर जवाब-तलब कर लिया गया है।गिरधारी अहिरवार ने याचिका दायर कर अवगत कराया कि वह ग्राम पंचायत कैड़ी का चयनित ग्राम प्रधान है। सीईओ जिला पंचायत ने ग्राम प्रधान को 22 नवंबर, 2021 को कारण बताओ नोटिस जारी कर तीन दिन के भीतर उनके समक्ष हाजिर होने के निर्देश दिए थे।
इसके बाद कलेक्टर ने बिना अधिकारिता के ग्राम प्रधान को हटाने का आदेश जारी कर दिया। मामले पर सुनवाई के दौरान पैनल लायर ने इस बात को स्वीकार किया कि ग्राम प्रधान पर कोई भी कार्रवाई करने का अधिकार कलेक्टर को नहीं, सीईओ जिला पंचायत का है। याचिकाकर्ता की ओर से कलेक्टर के आदेश को चुनौती दी गई।
याचिकाकर्ता की ओर से यह दलील भी दी गई कि बिना अधिकार कलेक्टर द्वारा उन्हें पद से हटाना पूरी तरह अवैधानिक और अनुचित है। यह भी कहा गया कि कार्रवाई करने से पहले उन्हें सुनवाई का मौका भी नहीं दिया गया। मामले पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने कलेक्टर के आदेश पर रोक लगाते हुए अनावेदकों से जवाब-तलब कर लिया है। मध्य प्रदेश की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया mp news पर क्लिक करें.