भोपाल। मध्य प्रदेश के प्रशासनिक अधिकारियों पर कोरोनावायरस वैक्सीनेशन अभियान का प्रेशर साफ दिखाई दे रहा है। यह प्रेशर आम जनता के बीच नजर आने लगा है। ग्वालियर में कलेक्टर ने टारगेट पूरा न करने वाले पंचायत सचिवों को फांसी पर चढ़ाने की धमकी दी थी। देवास में नगर निगम के नोडल अधिकारी ने ऐलान किया कि यदि ठीक है नहीं लगवाए तो बिजली-पानी की सप्लाई बंद कर देंगे।
देवास शहर के वार्ड क्रमांक 35 में नगर निगम के नोडल अधिकारी डॉ पवन माहेश्वरी उस समय तनाव में आकर अपने पद के दुरुपयोग पर उतर आए जब एक परिवार के 5 लोगों ने एक साथ वैक्सीन लगवाने से मना कर दिया। इस तरह के कंफ्यूज लोगों को कन्वेंस करने के लिए एक्सपीरियंस और हैवी पेशंस वाले अधिकारियों की जरूरत होती है, परंतु शायद देवास कलेक्टर की जानकारी में ऐसा कोई अधिकारी नहीं है।
डॉ पवन माहेश्वरी ने भ्रम का शिकार हुए परिवार को तकनीकी रूप से समझाने के बजाय धमकाना शुरू कर दिया। उन्होंने मौजूद टीम को निर्देशित किया कि यदि यह परिवार टीके नहीं लग जाता है तो इनका बिजली पानी सप्लाई तत्काल बंद कर दिया जाए। डॉ माहेश्वरी इतने तनाव में थे कि उन्होंने मौजूद कर्मचारी को भी चेतावनी दी, यदि तुमने अभी इनका नल कनेक्शन नहीं काटा तो मैं तुम्हारी सैलरी काट लूंगा।
सनद रहे कि पद का दुरुपयोग करने और कानून को हाथ में लेने का अधिकार किसी को नहीं है। वैक्सीनेशन से इनकार करने वाले लोगों को रास्ते पर लाने के कई कानूनी तरीके हैं लेकिन यदि मैदानी अधिकारियों की धमकियों को नजरअंदाज किया गया तो वह इसका फायदा उठा सकते हैं, निर्दोष नागरिकों को प्रताड़ित किया जा सकता है। शिवपुरी का ताजा उदाहरण सामने है जहां एक अधिकारी ने पद का दुरुपयोग किया तो जनता ने कानून हाथ में ले लिया था। मध्य प्रदेश की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया mp news पर क्लिक करें.