भोपाल। मध्य प्रदेश शासन के लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा सभी विद्यालयों के लिए श्री लक्ष्मण विनायक और अन्य की याचिकाओं के संबंध में एवं भारत की विशेष न्यायालयों की स्थापना के बारे में प्रेसिडेंट बार एसोसिएशन (न्यायिक) सूरतगढ़ राजस्थान का दिनांक 25 जनवरी 2021 के प्रतिवेदन के संबंध में गाइडलाइन जारी की गई है। डायरेक्टर डीपीआई द्वारा स्पष्ट कहा गया है कि गाइडलाइन का कड़ाई से पालन किया जाए।
मध्यप्रदेश में स्कूली छात्र-छात्राओं के यौन उत्पीड़न की रोकथाम हेतु गाइडलाइन
बलात्कार की बढ़ती हुई घटनाओं पर रोक लगाने के लिए छात्राओं के यौन उत्पीड़न अधिनियम 2013 के बारे में जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है इस हेतु विद्यालयों में निम्नानुसार कार्यवाही की जानी चाहिए।
विद्यालय में प्रकाशित होने वाली वार्षिक पत्रिका में अनुच्छेद से संबंधित जानकारी का प्रकाशन किया जाना चाहिए।
पीटीएम में अभिभावकों को इस संबंध में जागरूक किए जाने हेतु चर्चा की जानी चाहिए।
विद्यालयों और छात्रावासों में डॉट स्पॉट पर पर्याप्त लाइट का प्रबंध हो।
विद्यालयों और छात्रावासों पर जगह-जगह ऐसे बॉक्स लगाए जाएं, जहां छात्र एवं छात्राएं अपनी पहचान प्रदर्शित किए बिना अपनी शारीरिक, मानसिक व भावनात्मक सुरक्षा को लेकर आने वाली कठिनाइयों की शिकायत, समस्या लिखकर उसमें डाल सके। विद्यार्थियों को इन बॉक्स की जानकारी दी जाए। इन बॉक्सो की नियमित अंतराल पर अनिवार्यता मॉनिटरिंग की जाए।
रात में किसी भी शैक्षणिक संस्थान द्वारा आयोजित कार्यक्रम के उपरांत छात्र एवं छात्राओं को उनके घर अथवा छात्रावास तक जाने हेतु पूरे सुरक्षा प्रबंध शैक्षणिक संस्थान द्वारा किए जाएं।
इमरजेंसी सेवाओं हेतु फोन नंबर 112 या अन्य की समस्त शैक्षणिक संस्थाओं में जानकारी हो व इसका नोटिस बोर्ड के पास प्रदर्शन किया जाए।
छात्र छात्राओं को आत्मरक्षा हेतु ताइक्वांडो जूडो कराटे मार्शल आर्ट और खेलों का प्रशिक्षण दिया जाए एवं विपरीत परिस्थितियों में सुरक्षित बच निकलने की युक्तियों की समझाइश दी जाए।
छात्र एवं छात्राओं को गुड टच एंड बैड टच की जागरूकता प्रदान की जाए।
शैक्षणिक संस्थाओं की बसों में महिला सहायकों की अनिवार्यता सुनिश्चित की जाए।
छात्र एवं छात्राओं हेतु वर्ष में एक बार शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य परीक्षण की व्यवस्था की जानी चाहिए।
छात्र एवं छात्राओं में उनकी स्वयं की सुरक्षा हेतु स्कूल में चर्चा, परिचर्चा, भाषण, नाटक आदि प्रतियोगिताएं आयोजित की जानी चाहिए।
छात्र एवं छात्राओं की सुरक्षा हेतु स्कूल हॉस्टल एवं बसों में सीसीटीवी कैमरे की अनिवार्यता सुनिश्चित की जानी चाहिए।
छात्र एवं छात्राओं की समस्याओं के निराकरण हेतु सामान्यतः प्रत्येक विद्यालय में एक महिला एवं एक पुरुष परामर्शदाता की व्यवस्था हो।
बिंदु क्रमांक 1 से 13 तक का पालन कड़ाई से किया जाए एवं विद्यालयों को तत्काल निर्देशित करें।