जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने परिवहन आयुक्त मुकेश कुमार जैन को कड़ी फटकार लगाई है। इसके साथ ही उच्च न्यायालय ने उनके द्वारा प्रस्तुत की गई कंप्लायंस रिपोर्ट खारिज कर दी। चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बेंच ने आठ दिसंबर को फिर पहले नंबर पर इस केस की सुनवाई नियत करते हुए ट्रांसपोर्ट कमिश्नर को कोर्ट में तलब किया है।
ऑटो रिक्शा के मामले में 8 साल से जनहित याचिका लगी है
जबलपुर सहित प्रदेश में अवैध ऑटो के संचालन सहित परमिट शर्तों के उल्लंघन को लेकर अधिवक्ता सतीश वर्मा ने 2013 में हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगा रखी है। आठ साल से ये याचिका कोर्ट में लंबित है। दो सप्ताह पहले कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया था कि वह जबलपुर सहित एमपी में अवैध ऑटो का संचालन बंद करा पाएगी या कोर्ट किसी और एजेंसी को नामित करें।
दो सप्ताह बाद हुई सुनवाई में पेश कंप्लाएंस रिपोर्ट खारिज
दो सप्ताह बाद सोमवार 6 दिसंबर को मामले की डबल बेंच में सुनवाई हो रही थी। सुनवाई के दौरान ट्रांसपोर्ट कमिश्नर की ओर से उपमहाधिवक्ता स्वप्निल गांगुली की ओर से कंम्लाएंस रिपोर्ट पेश की गई। जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया और लंच के बाद फिर से रिपोर्ट पेश करने को कहा।
ट्रांसपोर्ट कमिश्नर को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है: हाई कोर्ट
लंच के बाद फिर सुनवाई के दौरान पेश कंप्लाएंस रिपोर्ट को फिर खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि दो हफ्ते में आपने कागजी कार्रवाई के अलावा कुछ नहीं किया है। इस तरीके से चलता रहा तो ट्रांसपोर्ट कमिश्नर को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है। 2013 से मामला पेंडिंग में है और सरकार सिर्फ कंप्लाएंस रिपोर्ट पेश करती है और समस्या जस की तस बनी हुई है।
सरकार के ऑटो सुधार योजना 2021 को कोर्ट ने नकारा
सरकार की ओर से बताया गया कि प्रदेश में ऑटो सुधार योजना 2021 लाने की तैयारी की जा रही है। पर कोर्ट ने इसे नकार दिया। कोर्ट ने सरकार को एक दिन की मोहलत देते हुए कहा कि आठ दिसंबर को सरकार की ओर से ट्रांसपोर्ट कमिश्नर सुबह 10 बजे कोर्ट में मौजूद होकर बताएं कि प्रदेश में अवैध तरीके से संचालित 50 हजार से अधिक ऑटो को रोकने का क्या प्लान बना है।
सेंट्रल मोटर वीकल अमेंडमेंट रूल्स 2019 लागू करने की मांग
वहीं याचिकाकर्ता सतीश वर्मा ने स्वंय और अधिवक्ता अमित पटेल संग मामले में पक्ष रखा। कोर्ट से एमपी में सेंट्रल मोटर वीकल अमेंडमेंट रूल्स 2019 को लागू करने की मांग की। कहा कि सरकार राजनीतिक दबाव में इसे लागू करने से बच रही है। कोर्ट ने बुधवार 08 दिसंबर को सुनवाई की अगली तारीख तय करते हुए इस केस को पहले नंबर पर लगाने का आदेश दिया है। मध्य प्रदेश की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया MP NEWS पर क्लिक करें.