भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा में आज भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियों के विधायकों ने सर्वसम्मति से संकल्प को पारित किया कि मध्य प्रदेश त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव, ओबीसी आरक्षण के बिना ना हों। इसे लेकर एक बार फिर बयान बाजी और अनिश्चितता की स्थिति बन गई है। कुछ बयान और खबरों में कहा जा रहा है कि पंचायत चुनाव स्थगित हो सकते हैं। जबकि कुछ विशेषज्ञों ने विधानसभा में संकल्प की प्रक्रिया को समझाया है।
यहां ध्यान देने वाली बात है कि विधानसभा में जो हुआ है वह एक 'संकल्प' है। इसका तात्पर्य होता है कि यदि सरकार इस दिशा में कदम बढ़ाएगी तो विपक्ष उसका समर्थन करेगा। विधानसभा में संकल्प का मतलब स्थगन आदेश नहीं होता। सरल शब्दों में आप कह सकते हैं कि इस बार सीएम शिवराज सिंह चौहान और नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ ने एक साथ मिलकर एक घोषणा की है। मध्यप्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष डॉ गिरीश गौतम ने बताया कि विधानसभा में पारित हुए संकल्प को राज्य निर्वाचन आयोग और सरकार के पास भेजा जाएगा। इस प्रकार राज्य निर्वाचन आयोग से पंचायत चुनाव स्थगित करने के लिए कहा जाएगा। हालांकि, निर्वाचन आयोग अपने निर्णय के लिए स्वतंत्र है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट में जाने संबंधी बयान दिया है। नोट करने वाली बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मध्य प्रदेश के नेताओं ने बयान बाजी पर फोकस रखा लेकिन 24 घंटे के भीतर ना तो फैसले को चुनौती दी गई है और ना ही पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं की गई। क्योंकि मामला सुप्रीम कोर्ट में है इसलिए फैसला भी सुप्रीम कोर्ट से ही होगा। सनद रहे कि हाई कोर्ट इस मामले में स्पष्ट कर चुका है कि अधिसूचना जारी होने के बाद चुनाव प्रक्रिया को रोका नहीं जा सकता। मध्य प्रदेश में चुनाव संबंधी समाचार एवं अपडेट के लिए कृपया mp election news पर क्लिक करें.