भोपाल। मध्य प्रदेश त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव आरक्षण विवाद, हाईकोर्ट द्वारा अर्जेंट हियरिंग की मांग नामंजूर कर देने के बाद मामला एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया। इस बार मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार भी सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखेगी।
मामला क्या है, क्या चाहते हैं याचिकाकर्ता
मध्य प्रदेश त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी हो चुकी है। सुप्रीम कोर्ट स्पष्ट कर चुका है कि पंचायत चुनाव याचिका के निर्णय के अधीन होंगे लेकिन कांग्रेस पार्टी के नेताओं की मांग है कि अधिसूचना को निरस्त करके रोटेशन के आधार पर आरक्षण होने के बाद ही चुनाव प्रक्रिया शुरू की जाए। भोपाल के मनमोहन नायर और गाडरवाडा के संदीप पटेल सहित पांच अन्य याचिकाकर्ताओं की ओर से सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता एवं राज्य सभा सांसद विवेक तन्खा पक्ष रखेंगे।
मध्य प्रदेश पंचायत चुनाव- सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को बुलाया
एमपी हाईकोर्ट में याचिका पर अर्जेंट हियरिंग न होने के बाद याचिकाकर्ताओं ने गुरुवार 16 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में प्रकरण लगाया था। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की बेंच ने इसे स्वीकार करते हुए आज शुक्रवार को सुनवाई की तारीख तय की है। याचिकाकर्ताओं के साथ ही मध्यप्रदेश सरकार सहित अन्य पक्षकारों को भी अपना पक्ष रखने के लिए निर्देशित किया है।
MP Panchayat election- याचिकाकर्ताओं की दलील पढ़िए
भोपाल के मनमोहन नायर और गाडरवाडा के संदीप पटेल सहित पांच अन्य याचिकाकर्ताओं ने तीन चरणों में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की वैधानिकता को चुनौती दी है। याचिका में कहा गया है राज्य सरकार ने 2014 के आरक्षण रोस्टर से चुनाव करवाने के संबंध में अध्यादेश पारित किया है,जो असंवैधानिक है। 2019 में राज्य सरकार ने अध्यादेश के माध्यम से नए सिरे से आरक्षण लागू किया था। बिना इस अध्यादेश को समाप्त किए, दूसरा अध्यादेश लाकर 2022 का पंचायत चुनाव 2014 के आरक्षण के आधार पर कराने का निर्णय लिया गया है, जो असंवैधानिक है।
क्या चुनाव अधिसूचना जारी होने के बाद निरस्त हो सकती है
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता हिमांशु मिश्रा तर्क दे चुके हैं कि महाराष्ट्र में आरक्षण संबंधी प्रावधानों का पालन ना होने पर सुप्रीम कोर्ट ने अधिसूचना निरस्त करते हुए फिर से अधिसूचना जारी करने का आदेश दिया है। इसी तरह मध्यप्रदेश में भी किया जा सकता है। मध्यप्रदेश में भी आरक्षण और रोटेशन का पालन नहीं किया गया जो असंवैधानिक है। वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा भी साफ कर चुके हैं कि यह संविधान की धारा 243 C और D का साफ उल्लंघन है। मध्य प्रदेश में चुनाव संबंधी समाचार एवं अपडेट के लिए कृपया mp election news पर क्लिक करें.