बुजुर्ग लोगों को आपने अक्सर कहते सुना होगा कि- "बिना विचारे जो करे सो पाछे पछताए" यानी कुछ भी करने से पहले सोचना या विचार करना बहुत जरूरी है। इसका कारण यह है कि बिना चिंतन एवं तर्क के समस्या का समाधान निकाल पाना काफी मुश्किल होता है।
चिंतन या विचार या सोचना एक ऐसी प्रक्रिया है जो हमारे ब्रेन में लगातार चलती रहती है और मुख्य रूप से यह तब सबसे ज्यादा होती है जबकि हम समस्याओं से घिरे होते हैं। समस्याओं को सुलझाना तो हमारी डेली लाइफ का एक अभिन्न अंग है। हम हर दिन सरल से लेकर जटिल समस्याओं का सामना करते रहते हैं। जब कोई भी व्यक्ति समस्याओं से घिरा रहता है, तो वह उस समस्या के समाधान के लिए विभिन्न साधनों के बारे में सोचता है। इसीलिए किसी भी प्रकार की समस्या के समाधान के लिए चिंतन आवश्यक है। हमारा चिंतन मुख्य रूप से संकल्पना (Concept) और तर्क (Argument) पर आधारित होता है।
संकल्पना क्या है- What is Concept
संकल्पना, चिंतन का एक प्रमुख तत्व है। संकल्पना एक ऐसी मानसिक संरचना है जो हमारे ज्ञान को क्रमबद्ध रूप प्रदान करती है। हम संकल्पना का सीधे निरीक्षण तो नहीं कर सकते, परंतु व्यवहार द्वारा अनुमान जरूर लगा सकते हैं।
तर्क क्या है- What is Argument Or Reasoning
तर्क भी चिंतन का एक प्रमुख तत्व है। इसमें भी अनुमान ही होता है। जो तर्कपूर्ण विचारों पर आधारित होता है। इसमें उद्देश्य तथा तथ्यों के आधार पर निष्कर्ष निकालकर निर्णय लिए जाते हैं। तर्क में हम अपने आस पास के वातावरण से प्राप्त जानकारी और हमारे मस्तिष्क में एकत्र सूचनाओं का नियमों के अंतर्गत उपयोग करते हैं।
तर्क कितने प्रकार के होते हैं
ये तर्क दो प्रकार के होते हैं- आगमन तर्क (Inductive Reasoning) एवं निगमन तर्क (Deductive Reasoning) जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि आगमन तर्क में उपलब्ध प्रमाण से निष्कर्ष निकाले जाते हैं और ये वैज्ञानिक प्रकृति के होते हैं, जबकि निगमन तर्क में पहले से दिए गए कथन के आधार पर निष्कर्ष निकाले जाते हैं। आगमन और निगमन तर्क के आधार पर शिक्षण विधियां (Teaching Methods) भी विकसित की गई हैं, जिनकी चर्चा हम दूसरे टॉपिक में करेंगे। मध्य प्रदेश प्राथमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा के इंपोर्टेंट नोट्स के लिए कृपया mp tet varg 3 notes in hindi पर क्लिक करें.