Effect of Heredity and Environment On Child Development Part-2
जैसा कि हमने अपने पिछले आर्टिकल से जाना कि वंशानुगति और वातावरण दोनों ही विकास को प्रभावित करते हैं। किसी भी व्यक्ति का व्यक्तित्व उसकी वंशानुगति और वातावरण के प्रभाव का ही परिणाम होता है।
इसी के संबंध में नेचर और नर्चर (Nature and Narture) को भी समझ लेना आवश्यक है।
नेचर यानी की प्रकृति (या वंशानुगति) और नर्चर यानी कि कि पोषण (वातावरण या पर्यावरण) देने वाला। इसे हम एक पौधे के उदाहरण से समझते हैं:
मान लीजिए हमने एक बीज बोया उस तो उस बीज उस बीज के अंदर पहले से जो भी कुछ उपस्थित है वह उसकी प्रकृति/ वंशानुगति / अनुवांशिकता है। अगर बीज स्वस्थ है तो उससे बनने वाला पौधा भी स्वस्थ होगा परंतु इसके साथ ही उसे पर्याप्त हवा, पानी, मिट्टी, खाद यानी पोषण / वातावरण/ पर्यावरण भी अनुकूल मिलना चाहिए, तभी एक स्वस्थ पौधा पनपेगा और वृक्ष बनेगा।
ठीक इसी तरह, बाल विकास भी वंशानुगति एवं वातावरण से प्रभावित होता है। यानी कि कोई बच्चा अपने माता पिता की अनुवांशिकी से जो भी वंशानुक्रम से जो भी वंशानुक्रम ग्रहण करता है, उसे हम प्रकृति समझ सकते हैं। जबकि बच्चे के विकास में उसके परिवेश का जो प्रभाव उस पर पड़ता है उसे हम पालन -पोषण कहते हैं।
तो कुल मिलाकर हम कह सकते हैं कि मानव व्यक्तित्व, अनुवांशिकता और वातावरण की अंतः क्रिया का ही परिणाम है, इसलिए बचपन से ही बाल विकास पर उचित ध्यान देना आवश्यक है। जिससे कि आगे चलकर स्वस्थ व्यक्तित्व वाले व्यक्तियों और समाज का निर्माण हो सके। मध्य प्रदेश प्राथमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा के इंपोर्टेंट नोट्स के लिए कृपया mp tet varg 3 notes in hindi पर क्लिक करें.