भाषा, भावों और विचारों की अभिव्यक्ति का एक साधन है। बच्चे के विकास के लिए महत्वपूर्ण कारकों में से एक भाषा भी है, जो कि एक बच्चे के जन्म के तुरंत बाद ही शुरू हो जाती है। यानी बच्चे का जन्म के बाद पहली बार रोना भी उसकी भाषा का ही एक रूप है।
इसके बाद बच्चा अपने विकास की अवस्थाओं के साथ-साथ भाषा का अर्जन (Acquisition of language) करने लगता है। रोने चिल्लाने के बाद बच्चा विभिन्न ध्वनियों जैसे - मा - मा, टा- टा, पा- पा, दा - दा आदि भी निकालने लगता है। इसके बाद बच्चा हाव, भावों और विचारों की भाषा भी बोलने लगता है। जो कि एक सहज प्रक्रिया है जो कि एक बच्चा अपने आप ही अपने वातावरण से अर्जित करता है।
वैसे तो विकास की अलग-अलग अवस्थाओं के अनुसार बच्चे का शब्द भंडार अलग-अलग होता है, परंतु 2 से 6 वर्ष की आयु यानी पूर्व बाल्यावस्था में (Early Childhood) का बच्चा, भाषाई विकास सबसे सबसे तेजी से करता है। विकास की विभिन्न अवस्थाओं या आयु के अनुसार बच्चों का शब्द भंडार भी धीरे-धीरे बढ़ता जाता है।
जन्म से 8 माह तक के बच्चे का शब्द भंडार, 0 होता है।.
9 माह से 12 माह तक बच्चा- 3 से 4 शब्द बोलना सीख जाता है।
18 माह तक बच्चा- 10 या 12 शब्द,
2 वर्ष तक बच्चा- 272 शब्द ,
ढाई वर्ष तक बच्चा- 450 शब्द,
3 वर्ष तक बच्चा- 1000 शब्द ,
साढें 3 वर्ष तक बच्चा- 1250 शब्द,
4 वर्ष तक बच्चा- 1600 शब्द ,
5 वर्ष तक बच्चा- 2100 शब्द ,
11 वर्ष तक बच्चा- 50000 शब्द ,
14 वर्ष तक- 80000 शब्द,
16 वर्ष से आगे- 100000 से भी अधिक शब्द बोलना सीख जाता है।
परंतु एक बालक के विकास में भाषा विकास कुछ सिद्धांतो के अनुसार होता है जिन्हें हम अगले आर्टिकल में जानेंगे।
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