MP TET VARG-3 TOPIC- भाषा अर्जन एवं भाषा अधिगम में अंतर एवं भाषा अर्जन की अवस्थाएं

Bhopal Samachar

Difference between Language Acquisition and Language Learning  and stages of language Acquisition in a child


भाषा अर्जन (Language Acquisition) -

जैसा कि हमने अपने भाषा अर्जित करने के सिद्धांत वाले आर्टिकल में पढ़ा की भाषा का अर्जन या ग्रहण करना स्वतः ही होता है। इसके लिए किसी औपचारिक वातावरण जैसे-स्कूल, कॉलेज की जरूरत नहीं होती। भााषा का अर्जन बच्चे के जन्म के कुछ सप्ताह बाद ही शुरू हो जाता है, जो कि मुख्य रूप से मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा में होता है। इसी कारण बच्चे की मां को उसकी पहली शिक्षक और उसके परिवार को पहली पाठशाला / प्राथमिक स्कूल कहा जाता है। जबकि पास-पड़ोस और विद्यालय उसे बाद में सिखाते हैं,इसलिए द्वितीयक साधन कहलाते हैं। 

भाषा अधिगम (Language Learning)- 

अपनी मातृभाषा और क्षेत्रीय भाषा के अतिरिक्त कोई दूसरी, तीसरी लैंग्वेज को सीखना, भाषा अधिगम कहलाता है। जो कि यदि आपके आसपास अनुकूल वातावरण मिले तो सहज भी हो सकता है, परंतु सामान्यता इसे हमें एक नियंत्रित वातावरण में सीखना होता है, इसलिए भाषा अधिगम में थोड़ी सी कठिनाई आती है। जबकि भाषा अर्जन स्वतः ही हो जाता है। 

एक बच्चे में भाषा अर्जन की विभिन्न अवस्थाएं- Different stages in a child for Language Acquisition

चूँकि भाषा अर्जन बच्चे के जन्म के कुछ सप्ताह बाद ही शुरू हो जाता है, जो कि विभिन्न अवस्थाओं के अनुसार होता है (जब तक की कोई बच्चा किसी भाषा विकार से पीड़ित ना हो) तब तक भाषा का अर्जन स्वतः ही होता चला जाता है। एक बच्चे के भाषा अर्जन की मुख्य अवस्थाएं निम्नलिखित हैं-
1. कूकना (Cooing)- यह जन्म से करीब 6 सप्ताह तक की अवस्था होती है, जिसमें बच्चा तरह तरह की आवाजें निकालना, किलकारियां निकालना सीख जाता है जिनका कोई अर्थ नहीं होता। 

2. बड़बड़ाना (Babbling)- यह करीब 6 महीने तक की अवस्था होती है जिसमें कि बच्चा तरह तरह तरह की आवाजें निकाल-निकाल कर बड़बड़ाने की कोशिश करता है या कहें कि शब्दों को तोड़-तोड़ कर बोलने की प्रैक्टिस करता है। इनका भी कोई अर्थ नहीं होता। 

3. एक शब्द अवस्था (one word stage stage)- लगभग 1 वर्ष की उम्र तक बच्चा लगभग एक शब्द या कोई बच्चा दो शब्द भी सीख जाता है, जिनका कुछ अर्थ भी होता है या कहें कि उनके परिवार वाले उन शब्दों का अर्थ समझने लगते हैं। 

4. द्विशब्द अवस्था (Two word stage) लगभग डेढ़ वर्ष की उम्र तक बच्चा दो से अधिक शब्द सीख जाता है और जिनका कोई अर्थ भी होता है।

5. लंबे उच्चारण (Longer Utterance)- लगभग 2 से 4 वर्ष की उम्र तक बच्चा लंबे-लंबे वाक्यों को बनाकर बोलना भी सीख जाता है और उसका इसके बाद उसका शब्द भंडार (Vocabulary) दिन पर दिन बढ़ता ही जाता है। यानी एक बच्चा जब प्री प्राइमरी प्रीस्कूल या नर्सरी स्कूल जा रहा होता है तो वह भाषा अर्जन वह कर चुका होता है और उसके बाद ही वह भाषा अधिगम करने के योग्य होता है और यह अर्जित भाषा उसके लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण टूल की तरह उसके साथ होती है, जिससे वह कभी इशारों में, तो कभी बोल कर, अपनी बात दूसरों को बता देता है। मध्य प्रदेश प्राथमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा के इंपोर्टेंट नोट्स के लिए कृपया mp tet varg 3 notes in hindi पर क्लिक करें.

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