भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है। कानून की दृष्टि में ईसाई, इस्लाम, यहूदियों आदि को छोड़कर सभी धर्म हिन्दू धर्म होते हैं लेकिन अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक) अधिनियम, 1989 के तहत SC-ST के देवताओं की मूर्ति या चित्र अथवा उपरोक्त के द्वारा पवित्र मानी जाने वाली वस्तुओं को खंडित करना भी एक गंभीर अपराध है। आइए पढ़ते हैं:-
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति(अत्याचार निवारण) अधिनियम,1989 की धारा 3(1) (न) की परिभाषा
अगर कोई व्यक्ति जो अनुसूचित जाति एवं जनजाति का सदस्य नहीं है वह उन विशेष वर्गों की धार्मिक मानी जाने वाली मूर्ति या अति श्रद्धा से ज्ञात किसी वस्तु अर्थात फ़ोटो, रंगचित्र आदि को नष्ट करेगा या हानि पहुचाएगा, या ऐसी वस्तु को अपवित्र करेगा वह अधिनियम की उपर्युक्त धारा के अंतर्गत दण्डित होगा।
अनुसूचित जाति एवं जनजाति अधिनियम, 1989 की धारा 3(1) न के अंतर्गत दण्ड़ का प्रावधान
इस धारा के अपराध संज्ञेय एवं अजमानतीय होते हैं। इनकी सुनवाई का अधिकार क्षेत्र जिला विशेष न्यायालय करता है। सजा - इस धारा के अपराध के लिए अधिकतम पाँच वर्ष की सजा एवं जुर्माना से दण्डित किया जा सकता है।
पीड़ित व्यक्ति को शासन द्वारा राहत सहायता राशि
अनुसूचित जाति और जनजाति(अत्याचार निवारण) नियम,1995 नियम 12(4) के अनुसार इस अपराध के अंतर्गत पीड़ित व्यक्ति को राज्य शासन द्वारा एक लाख रुपये की आर्थिक सहायता(संदाय) दी जाती है। यह राशि जिला कलेक्टर या SDM या जिला संयोजक अनुसूचित जाति एवं जनजाति कार्यालय द्वारा स्वीकृत होती है। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com