ऐसी कोई शत्रुता या घृणा उत्पन्न करना जिसके कारण व्यक्ति का मनोबल कमजोर होता है यह सामान्य तौर पर कहें तो यह छोटा-मोटा अपराध होता है। जिसे भारतीय दण्ड संहिता की धारा-95 के अंतर्गत माफ भी किया जा सकता है लेकिन यही अपराध किसी विशेष विधि के अंतर्गत विशेष वर्ग के व्यक्ति के मनोबल को कमजोर करने के लिए किया जाए तो यह गंभीर एवं अजमानतीय अपराध हो सकता है, जानिए।
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति(अत्याचार निवारण) अधिनियम,1989 की धारा-3(1)(प) की परिभाषा
अगर कोई व्यक्ति जो अनुसूचित जाति एवं जनजाति का सदस्य नहीं है वह इन जाति वर्ग के व्यक्ति के साथ शत्रुता का व्यवहार करेगा (रखेगा),घृणा करेगा (रखेगा), भेदभाव की भावना करेगा (रखेगा) या लिखित, मौखिक शब्दों, वीडियो, चित्रलेखन द्वारा व्यक्तियों का मनोबल घटाएगा ऐसा करने वाले व्यक्ति धारा 3(1)(प) के अंतर्गत दोषी होगा।
अनुसूचित जाति एवं जनजाति अधिनियम, 1989 की धारा 3(1) (प) के अंतर्गत दण्ड़ का प्रावधान
इस धारा के अपराध संज्ञेय एवं अजमानतीय होते हैं। इनकी सुनवाई का अधिकार क्षेत्र जिला विशेष न्यायालय करता है। सजा- इस धारा के अपराध के लिए अधिकतम पाँच वर्ष की सजा एवं जुर्माना से दण्डित किया जा सकता है।
पीड़ित व्यक्ति को शासन द्वारा राहत सहायता राशि
अनुसूचित जाति और जनजाति (अत्याचार निवारण) नियम,1995 नियम 12(4) के अनुसार इस अपराध के अंतर्गत पीड़ित व्यक्ति को राज्य शासन द्वारा एक लाख रुपये की आर्थिक सहायता (संदाय) दी जाती है। यह राशि जिला कलेक्टर या SDM या जिला संयोजक अनुसूचित जाति एवं जनजाति कार्यालय द्वारा स्वीकृत होती है। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com