जबलपुर। श्रीमती मालती दीक्षित, निवासी सिवनी को उनके पति की मृत्यु के पश्चात फेमली पेंशन वर्ष 2011 से मिल रही थी। श्रीमती मालती दीक्षित के पति शिक्षक (स्कूल शिक्षा विभाग) के पद से रिटायर हुए थे। श्रीमती दीक्षित को यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, सिवनी शाखा से पेन्शन मिल रही थी। बैंक द्वारा अचानक पेंशन कब कर दी गई और पेंशन की राशि से वसूली प्रारंभ कर दी गई।
बैंक से संपर्क करने पर उन्हें ज्ञात हुआ कि उनके विरुद्ध 3,68,999 की वसूली है, यद्दपि कोई कारण नही बताया गया। गणना पत्रक के अनुसार, पेंशन से वसूली भी प्रारम्भ कर दी गई थी। उल्लेखनीय है कि श्रीमती दीक्षित को बैंक द्वारा वसूली सबंधी कोई सूचना पत्र तामील नहीं कराया गया था।
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, सिवनी शाखा द्वारा परिवार पेंशन से की जा रही वसूली से पीड़ित होकर श्रीमति दीक्षित द्वारा उच्च न्यायालय जबलपुर की शरण ली गई थी। श्रीमती दीक्षित के वकील श्री अमित चतुर्वेदी के अनुसार बैंक, पेंशन नियमों के उल्लंघन में वसूली करने की अधिकारिता नही रखता है। जिला पेंशन अधिकारी ही पेंशन नियमों के प्रावधानों के अनुसार पेन्शनर को युक्तियुक्त सुनवाई का अवसर देने के बाद, वित्त विभाग की सहमति से ऐसा कर सकता है। पेंशन में कमी एवं वसूली दोनों ही पेंशन नियमों का अतिक्रमण है।
कोर्ट द्वारा टिप्पणी की गई कि वर्ष 2011 में निर्धारित पेंशन से 10 साल बाद वसूली पूर्णतः अनुचित है, जबकि याचिकाकर्ता की आयु 70 वर्ष हो गई है। हाई कोर्ट जबलपुर ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया सिवनी शाखा, जिला पेन्शन अधिकारी सिवनी, प्रमुख सचिव वित विभाग को नोटिस जारी करते हुए बैंक के द्वारा जारी वसूली आदेश के पालन पर रोक लगा दी है। मध्यप्रदेश कर्मचारियों से संबंधित महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया MP karmchari news पर क्या करें.