भोपाल। श्री रूपराम पेठारी ने अपनी आपबीती ईमेल करके बताया कि समाधान आनलाइन कार्यक्रम के तहत मुझे सपरिवार बुलाकर सरकारी नौकरी का आश्वास दिया था। 4 साल हो गए, अब तक नौकरी नहीं मिली है।
मध्य प्रदेश भोज विश्वविद्यालय ने 6 साल तक मार्कशीट में संशोधन नहीं किया
दरअसल देवास जिले के पीपलकोटा गांव के निवासी रूपराम पिता शिवलाल पेठारी ने बताया कि उन्होंने भोज विश्वविद्यालय भोपाल से मास्टर ऑफ सोशल वर्क की डिग्री हासिल की है। वर्ष 2012 में इसी डिग्री पाठ्यक्रम के प्रथम वर्ष की अंकसूची में उन्हे एक पेपर में उपस्थित रहने के बावजूद विश्वविद्यालय ने अनुपस्थित बताकर फेल कर दिया था। इसी अंकसूची में संशोधन के लिए रूपराम ने वर्ष 2012 से 2018 तक विश्वविद्यालय प्रबंधन से लगाकर सीएम हाउस, राज्यपाल कार्यालय, मानवाधिकार आयोग, प्रधानमंत्री कार्यालय, राष्ट्रपति कार्यालय, उच्च शिक्षा मंत्री इत्यादि तमाम सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाए, लेकिन न्याय नहीं मिला।
मुख्यमंत्री ने मिलने बुलाया, तब जाकर मार्कशीट में संशोधन हुआ
अंततः लाखों कोशिशों के बाद रूपराम का प्रकरण सीएम के समाधान कार्यक्रम में पहुंच गया। रुपराम ने बताया कि सीएम के समक्ष में अपनी समस्या रखने के लिए परिवार सहित देवास जिला कलेक्टर के माध्यम से उन्हे मंत्रालय वल्लभ भवन भोपाल में बुलवाया गया। अपने परिवार के साथ पहुंचे रूपराम से जब सीएम ने अपनी परेशानी बताने को कहा तो उसने सीएम को अपनी 6 साल से दर-दर भटकने की कहानी बताकर अंकसूची में जल्दी संशोधन कराने का निवेदन किया।
रूपराम ने बताया कि उन्होंने सीएम से मांग की थी कि उसके मामले में 6 साल बाद अब वास्तविक न्याय किया जाना चाहिए और उसके चौपट हुए करियर के लिए सरकार को संवेदनशीलता और मानवीय दृष्टिकोण वाला उसके हित में उदारवादी निर्णय लेना चाहिए और उसकी सारी योग्यताओं और 10 वर्ष एनजीओ के कार्यानुभवों के आधार पर उसको आवेदन किए गए डीपीएम के पद पर राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की संविदा भर्ती में सीधे नियुक्ति दी जानी चाहिए।
रुपराम ने दावा किया है कि मुलाकात के समय सीएम ने माना था कि इस मामले में उनका का भविष्य, उच्च शिक्षा और करियर लम्बे समय तक बाधित रहा है। साथ ही सरकारी नौकरी के अवसरों की भारी क्षति हुई है। इसलिए उसके बर्बाद हुए करियर को संवारने की जिम्मेदारी भी सरकार की है। इसलिए सीएम ने कहा कि रूपराम के लिए सरकार संवेदनशील और उदारवादी दृष्टिकोण अपनाकर केवल उसके लिए भर्ती नियमों में शिथिलता करके सारी योग्यताओं और अनुभवों के अनुरूप रूपराम को सीधे शासकीय नियुक्ति देगी।
उक्त आश्वासन के साथ ही जल्द संशोधित अंकसूची देने ओर दोषी अधिकारियों पर कठोर कार्यवाही के निर्देश भी दिये गये थे। रूपराम को 6 साल बाद संशोधित अंकसूची तो दे दी गई थी, परंतु शासकीय नियुक्ति सीएम के आश्वासन के 4 साल बाद भी आज दिनांक तक नहीं दी गई है। मध्य प्रदेश की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया mp news पर क्लिक करें