ग्वालियर। मध्य प्रदेश शासन के परिवहन विभाग द्वारा किए गए ₹70 के कथित घोटाले के मामले में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ ने परिवहन विभाग से स्पष्ट जवाब मांगा है। उल्लेखनीय है कि प्रति व्यक्ति ₹70 के हिसाब से यह हजारों करोड़ का घोटाला है।
शिवपुरी निवासी विजय शर्मा ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की है। बताया है कि जो सेवाएं भारत के सभी राज्यों में फ्री दी जा रही हैं, उसके लिए मध्य प्रदेश परिवहन विभाग द्वारा स्मार्ट चिप नाम की कंपनी को अनुबंधित किया गया और प्रति व्यक्ति ₹70 सर्विस चार्ज वसूल किया गया। यह पूरा पैसा परिवहन विभाग के अनुबंध के कारण प्राइवेट कंपनी के खाते में गया। जबकि शासकीय सेवा के लिए सर्विस चार्ज नहीं लिया जाता।
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने जब परिवहन विभाग से जवाब मांगा तो ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट की तरफ से बताया गया कि स्मार्ट चिप कंपनी से अनुबंध समाप्त कर दिया गया है और NIC (नेशनल इन्फोरमेशन सेंटर) काम दे दिया गया है। इसी के साथ NIC की रसीद भी पेश की गई। याचिकाकर्ता की ओर से आपत्ति जताते हुए बताया कि जो सेवाएं पूरे देश में फ्री हैं, उनके लिए मध्यप्रदेश में सर्विस चार्ज क्यों लिया जा रहा है। परिवहन विभाग ने सेवा प्रदाता संस्थान को बदलकर, कंफ्यूज करने का प्रयास किया है।
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को निर्देशित किया कि वह इस मामले में NIC (नेशनल इन्फोरमेशन सेंटर) को भी प्रतिवादी बनाए। ताकि उनसे भी सवाल किया जा सके। हाईकोर्ट में परिवहन विभाग से पूछा है कि स्पष्ट रूप से बताएं, आम नागरिकों से वसूले जाने वाले ₹70 किस के खाते में जमा हो रहे हैं।