भोपाल। यदि 12वीं के बाद भी करियर के लिए गोल सेट नहीं किया तो टॉपर्स भी मुश्किल में पड़ जाते हैं। मध्य प्रदेश के सागर में रहने वाले विभूति जैन के साथ ऐसा ही हुआ है। शिक्षक पात्रता परीक्षा टॉप करने के बावजूद नौकरी नहीं मिली क्योंकि विभूति जैन ने साइंस सब्जेक्ट से ग्रेजुएशन और इंग्लिश लिटरेचर से पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है। उच्च न्यायालय ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर के कारण पूछा है।
विभूति जैन मेधावी छात्र हैं, कक्षा 10 से टॉप करते आ रहे हैं
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व जस्टिस पुरुषेंद्र कुमार कौरव की युगलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता जयसिंह नगर, सागर निवासी विभूति जैन की ओर से अधिवक्ता सचिन पांडे ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता मेधावी छात्र रहा है। उसने 2006 में प्रथम श्रेणी से दसवीं की परीक्षा उत्तीर्ण की। 2008 में प्रथम श्रेणी से गणित-विज्ञान विषय से बारहवीं परीक्षा उत्तीर्ण हुआ। 2011 में डा.हरीसिंह गौरव विश्वविद्यालय से बीसीए की स्नातक डिग्री प्रथम श्रेणी में हासिल की।2013 में एमए इंग्लिश की परीक्षा उत्तीर्ण हुआ। 2018 में बीएड उपाधि धारक हो गया। इसके साथ ही अतिथि शिक्षक बतौर सेवा दी।
शिक्षा विभाग ने ग्रेजुएशन वाले सब्जेक्ट को ही मान्यता दी, पोस्ट ग्रेजुएशन की वैल्यू नहीं
2021 में माध्यमिक शिक्षक के पद विज्ञापित होने पर आवेदन किया। 2018 में वह अंग्रेजी विषय से माध्यमिक शाला शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण कर चुका था। इसके बावजूद उसे अंग्रेजी विषय से माध्यमिक शिक्षक इस तर्क के आधार पर नहीं बनाया गया कि उसके पास अंग्रेजी विषय से स्नातक डिग्री के स्थान पर ओवर क्वालिफिकेशन के रूप में एमए इंग्लिश की डिग्री है। इस अनुचित आधार के खिलाफ याचिका दायर की गई है।
हाई कोर्ट ने ओवर क्वालिफिकेशन के आधार पर माध्यमिक शिक्षक पद पर नियुक्ति से वंचित किए जाने के रवैये पर जवाब-तलब कर लिया। इस सिलसिले में राज्य शासन, स्कूल शिक्षा सचिव, जिला शिक्षा अधिकारी, सागर सहित अन्य को नोटिस जारी किए गए हैं। जवाब के लिए दो सप्ताह का समय दिया गया है। मध्य प्रदेश की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया mp news पर क्लिक करें.