माननीय, आपके सम्मुख तमाम आईएएस एवं आर्थिक सलाहकार ने वित्तीय संकट का पिटारा खोल कर रख दिया गया होगा कि मध्यप्रदेश शासन की आर्थिक स्थिति अभी ठीक नही हैं। जिस कारण रिटायरमेन्ट आयु में वृद्धि के आदेश जारी करना पड़ा। जिसका सीधा आर्थिक लाभ प्रथम क्लास और द्वतीय क्लास को अधिक हुआ। जिनको आज भारी भरकम पगार मिल रही हैं जो राज्य एवं भारत की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करती हैं। जिस कारण आज महंगाई चरम पर है।
रिटायरमेंट की आयु में पूर्व की भाँति 58-60 वर्ष प्रत्येक विभाग में करते हुये रिटायरमेंट की आयु कम की जाये। जिस कारण अधिक संख्या में शासकीय सेवक रिटायर होंगे और युवा बेरोजगार वर्ग के एक बड़े समूह को लाभ होगा। युवा पीढ़ी आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के निर्माण में प्रति माह कम आर्थिक लाभ में अपनी सेवा देंगे।
रिटायरमेंट होने वाले शासकीय सेवक को उसकी जमा पूँजी की राशि को शासन एक मुश्त न देते हुये उस के बुढ़ापे को सुरक्षा प्रदान करते हुये यदि कुल भुगतान होने वाली राशि को एक समान बराबर-बराबर किस्तो में 1 से लेकर 10 वर्षो तक राशि का भुगतान किया जाये, यदि इस दौरान कोई दुःखद घटना घटित होती हैं तो शेष बची राशि का भुगतान नामनी को किया जाये। जिससे बुढापे में परिवार जन के साथ 10 वर्ष तक के सुरक्षित जीवन की गारंटी एवं सुरक्षा प्राप्त होगी और वृद्ध जन का वृद्धावस्था में वृद्धाश्रम की ओर पलायन कम होगा एवं राज्य शासन पर कम आर्थिक बोझ पड़ेगा। ✒ राजकुमार अहिरवार
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