माननीय मुख्यमंत्री जी, सादर प्रणाम। दो दिन पूर्व MBBS के पश्चात होने वाली NEET PG के राज्य स्तरीय आवंटन की सूची जारी हुई है। इस सूची से सबसे ज्यादा आहत अनारक्षित वर्ग के छात्र हुए हैं। ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे विभाग के सलाहकार, मंत्रियों को अंधेरे में रखकर आदेश बनवा रहे हैं।
इस सूची से स्पष्ट है कि प्रत्येक छात्र की प्लेइंग फील्ड ही बदल दी गयी है। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति तथा अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण से किसी को परेशानी नहीं होती है और ना ही होना चाहिए। संविधान के अनुसार आरक्षण सामाजिक और शैक्षणिक पिछड़ेपन के कारण दिया गया है किन्तु ताज्जुब की बात है सरकारी नौकरी (इन-सर्विस) में आने के बाद भी यदि कोई डिप्टी कलेक्टर वर्ग का अधिकारी (चूंकि मेडिकल ऑफिसर और डिप्टी कलेक्टर की ग्रेड-पे समान है) सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा है, तो फिर मुख्यमंत्री जी आपको सामाजिक सौहार्द बढ़ाने के लिए स्वयं आगे आना पड़ेगा।
इस सूची में 279 क्रमांक पर जो आवंटन है वह इन-सर्विस प्लस EWS में शामिल है। अर्थात् आवंटन जारीकर्ता के अनुसार कोई डिप्टी कलेक्टर स्तर का अधिकारी आर्थिक रूप से पिछड़ा भी है।
माननीय मुख्यमंत्री जी इस आवंटन सूची में इन-सर्विस कोटा में भी अन्याय किया गया है। DHS के मेडिकल ऑफिसर और चिकित्सा शिक्षा विभाग के डिमोंस्ट्रेटर को क्रमशः 3 और 5 साल बाद कोटा का लाभ मिलेगा जबकि दोनों को ही समान रुप से 3 साल या 5 साल बाद ही लाभ मिलना चाहिए था अर्थात् उच्च शिक्षा के लिए शैक्षणिक अवकाश की योग्यता समान होनी चाहिए थी।
DHS के मेडिकल ऑफिसर व चिकित्सा शिक्षा विभाग के डिमोंस्ट्रेटर को कुल सीट का 30% सीटों में आरक्षण मिल रहा है किंतु DHS के मेडिकल ऑफिसर को कुल प्राप्तांक में 30% अंक भी बढ़ाकर दिये जा रहे हैं। इसको हम सरल शब्दों में ऐसे समझ सकते हैं कि यदि किसी मेडिकल ऑफिसर और डिमोंस्ट्रेटर दोनों के 300 अंक हैं तो मेडिकल ऑफिसर के 30% अंक जोड़ने के बाद 390 अंक हो जाएंगे जबकि डिमोंस्ट्रेटर के 300 अंक ही रहेंगे।
हालांकि एक तर्क यह दिया जाता है कि डिमोंस्ट्रेटर शहरी क्षेत्र में और मेडिकल ऑफिसर अतिदुर्गम क्षेत्रों में कार्य करते हैं किंतु माननीय मुख्यमंत्री जी हमें ऐसा लगता है कि आपके इतने वर्षों के कार्यकाल में सभी क्षेत्रों का अच्छे से विकास हुआ है और कोई भी क्षेत्र किसी अधिकारी के लिए अतिदुर्गम नहीं रह गये हैं।
अतः मुख्यमंत्री जी आपसे ही उम्मीद है कि इस अन्यायपूर्ण हुए कृत्य को रोककर न्याय दीजिए अन्यथा वह दिन दूर नहीं जब छात्र राज्य से पलायन करने पर मजबूर हो जायेंगे। ✒ Dr. Pravesh Singh Bhadoria
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