आज की वर्तमान समय मे शासकीय कार्यालयों में कर्मचारी वर्ग की स्थिति ठीक नहीं हैं। जो माहौल बन गया है वह कर्मचारियों की कार्यशैली को प्रभावित करता है। एक बात समझ में नहीं आती कि जब सभी कर्मचारियों के लिये दण्ड के रूल्स एक समान प्रतिरोपित किये जाते हैं तो पदोन्नति के मापदंड पृथक-पृथक क्यों।
आईएएस और आईपीएस एवं उच्च शिक्षा विभाग और स्कूल शिक्षा विभागों में पदोन्नति नियमो में विभिन्नता हैं और अतिरिक्त योग्ताएं रखने पर स्कूल और उच्चशिक्षा विभाग में अतिरिक्त वेतनवृद्धियां दे दी जाती हैं। जबकि दूसरे कई विभागों में ऐसा कोई विकल्प नहीं है। ऐसी असमानता तृतीय और चतुर्थ वर्ग के कर्मचारियों के साथ क्यों। जब की सभी वर्ग के कर्मचारी राज्य के ही आधीन कार्य करते हैं।
मध्यप्रदेश शासन के लिए मेरा सुझाव है कि वो कर्मचारियों को प्राइवेट सेक्टर की भाँति योग्यता के आधार पर सभी वर्ग के कर्मचारियों को समान पदोन्नति हेतु नियम बना कर लागू करे। हर वर्ग के लिए एक समान नियम लागू हो। क्रमोन्नति किसी भी कर्मचारी का सेवाकाल के आधार पर अधिकार हो सकता है परंतु पदोन्नति का आधार तो योग्य के अलावा कुछ और होना ही नहीं चाहिए। ✒ राजकुमार अहिरवार
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