दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 211 और 212 के तहत चार्ज शीट (आरोप पत्र) तैयार की जाती है। आरोप पत्र बनाने वाला विशेषज्ञ होता है। न्यायालय में न्यायाधीश एवं सभी कर्मचारी उस भाषा एवं शब्दों के अभ्यस्त होते हैं, जिनका उपयोग आरोप पत्र में किया जाता है लेकिन कई बार आरोपी को आरोप पत्र समझ में नहीं आता। प्रश्न यह है कि ऐसी स्थिति में क्या आरोपी को उस पर लगाया गया आरोप समझाया जाएगा अथवा प्रक्रिया शुरू करके प्रकरण का फैसला कर दिया जाएगा। आइए जानते हैं:-
दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 213 की परिभाषा
जब कोई मामला आरोपी व्यक्ति पर आरोप पत्र की धारा 211 या 212 के अंतर्गत लगाया गया है एवं आरोपी व्यक्ति को आरोप लगने के बाद भी जानकारी नहीं मिल पा रही है, तब आरोपी व्यक्ति को उस नियमावली द्वारा बताया जाएगा जिससे वह आसानी से समझ सके।
आरोप पत्र को ठीक प्रकार से समझना, आरोपी का अधिकार है
"इस धारा का उद्देश्य यह है कि आरोपी व्यक्ति को स्पष्ट रूप से यह समझाया जा सके कि उस पर किस प्रकार के अपराध का आरोप लगाया गया है, ताकि यदि वह निर्दोष है तो अपना बचाव कर सके और यदि अपराधी है तो शासन तंत्र को अपराध के कारण का पता चल सके ताकि शासन व्यवस्था आवश्यकता पड़ने पर उस तरह के कारणों को समाप्त कर पाए। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com