कभी-कभी पुलिस संदेह के दायरे में आए व्यक्ति को गिरफ्तार करके, उसे अपराध के लिए दोषी मानते हुए कोर्ट में चार्जशीट पेश कर देती है। ऐसे मामलों में ज्यादातर आरोपी दोषमुक्त हो जाती है लेकिन यदि न्यायिक प्रक्रिया के दौरान पता चलता है कि गिरफ्तार किया गया व्यक्ति चार्ज शीट में दर्ज व्यक्ति की हत्या का दोषी नहीं है लेकिन उसने किसी अन्य व्यक्ति की हत्या की है, अब न्यायालय क्या करेगा। क्या अपराधी को चार्जशीट के अभाव में रिहा कर दिया जाएगा या फिर उस अपराध के लिए दंडित किया जाएगा जिसे पुलिस द्वारा इन्वेस्टिगेट ही नहीं किया गया। आइए जानते हैं:-
दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 215 की परिभाषा:-
अगर कोई अपराध का आरोप ऐसे कथन में लिखा गया है जिसका वर्णन आरोप पत्र में नहीं दिया गया है तब ऐसे कथन जो नहीं लिखा गया वह उचित माना जा सकता है। यदि आरोपी किसी अपराध को स्वयं स्वीकार करता है तब उसका बयान पर्याप्त एवं उचित माना जाएगा फिर चाहे, उस अपराध का विवरण आरोपपत्र में दर्द ना किया गया हो।
सरल उदाहरण से समझिए
27 मार्च को गांधी मार्केट में हुई सुरेश की हत्या के मामले में पुलिस क्रूर सिंह को गिरफ्तार करके न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करती है परंतु न्यायिक प्रक्रिया के दौरान यह स्पष्ट होता है कि क्रूर सिंह ने गांधी मार्केट में में सुरेश की हत्या नहीं की है लेकिन 27 मार्च को सदर बाजार में रमेश की हत्या की थी, जिसे उसने स्वीकार कर लिया है। ऐसी स्थिति में क्रूर सिंह को केवल इसलिए रिहा नहीं किया जाएगा क्योंकि पुलिस ने रमेश की हत्या की चार्ज शीट दाखिल नहीं की है। पुलिस डिपार्टमेंट द्वारा की गई गलती का न्यायिक प्रक्रिया पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
कोर्ट, क्रूर सिंह की स्वीकृति को पर्याप्त मानते हुए उसे दंडित कर सकता है एवं सुरेश की हत्या के मामले की नए सिरे से जांच के आदेश दे सकता है। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com