यदि किसी व्यक्ति के खिलाफ कई पुलिस थानों में अलग-अलग प्रकार के अपराधों के लिए FIR दर्ज हुई है तब क्या सभी मामलों की सुनवाई किसी एक कोर्ट में हो सकती है। या फिर हर अपराध की पेशी के लिए उसे अलग-अलग न्यायालयों में पेश किया जाना पड़ेगा। आइए जानते हैं:-
दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 218 की परिभाषा:-
• अगर किसी व्यक्ति पर अलग अलग अपराध का आरोप लगा हुआ है तब अभियोजन भी अलग-अलग चलेगा एवं प्रत्येक आरोप का विचारण भी अलग-अलग किया जाएगा एवं न्यायालय भी अलग अलग हो सकते हैं।
• लेकिन यदि आरोपी व्यक्ति खुद लिखित आवेदन द्वारा ऐसा चाहता है या मजिस्ट्रेट की राय से लगता है कि उससे आरोपी व्यक्ति पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा वहाँ मजिस्ट्रेट उस व्यक्ति के विरुद्ध विचारण के सभी आरोपों को एक साथ एक ही न्यायालय में कर सकता है।
उदहारानुसार:-
कमल, पर एक अवसर पर चोरी करने और किसी अवसर पर गंभीर चोट करने का अभियोग हैं। चोरी के लिए और गम्भीर चोट करने के लिए कमल पर अलग-अलग आरोप लगाने होंगे एवं उनका विचारण भी अलग अलग करना होगा। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com