यहां ध्यान देना होगा की बात अपराधी की हो रही है। यानी उसने कोई अपराध किया है परंतु पुलिस को उसके बारे में नहीं पता और पुलिस ने संदेह के आधार पर किसी और मामले में उसके खिलाफ चालान पेश कर दिया और कोर्ट में ट्रायल के दौरान यह प्रमाणित हो जाता है कि पुलिस की चार्जशीट गलत है परंतु आरोपी व्यक्ति ने कोई दूसरा अपराध किया है। तब क्या कोर्ट किसी व्यक्ति को उस अपराध के लिए दंडित कर सकता है, जिसका उल्लेख पुलिस के आरोपपत्र में है ही नहीं। आइए पढ़ते हैं:-
दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 221 की परिभाषा (सरल एवं संक्षिप्त रूप में):-
• अगर किसी व्यक्ति पर किसी अपराध को करने का संदेह है तब ऐसे व्यक्ति पर दण्ड प्रक्रिया संहिता की उपर्युक्त धारा के अंतर्गत विभिन्न धाराओं में अपराध का आरोप लगाया जा सकता है। अर्थात अनुमानित के आधार पर न्यायालय अपराध का विचारण कर सकता है।
• यदि ऐसा होता है कि आरोपी पर लगाया गया अपराध का आरोप सही नहीं है उसने अन्य किसी प्रकार का अपराध किया है जिसका उस पर आरोप नहीं था तब न्यायालय उसे उसी अपराध के लिए दण्डित करेगा जो उसने किया है चाहे उसका उल्लेख आरोप पत्र में में नहीं था।
उदहारानुसार:- किसी व्यक्ति पर चोरी करने का आरोप लगा है एवं यह भी संदेह है कि चोरी करते समय उसने उपहति या घोर उपहति भी की होगी अर्थात चोरी के साथ उस पर चोट, एवं गंभीर चोट का मामला संदेह के आधार पर दर्ज होगा। लेकिन बाद में न्यायालय द्वारा पाया गया कि उसने जानबूझकर चोरी का माल खरीदा है चोरी एवं उपहति (मारपीट) किसी और ने की थी, तब न्यायालय उस आरोपी को जानबूझकर चोरी के माल को रखने के लिए दंडित करेगा उस पर यह आरोप नहीं लगा तब भी। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com