नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के सर्वोच्च न्यायालय ने शासकीय कर्मचारियों को प्रमोशन में आरक्षण के मामले में किसी भी प्रकार के मानदंड निर्धारित करने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने आंकड़े और मूल्यांकन की मांग की है। सुनवाई की अगली तारीख 24 फरवरी 2022 निर्धारित की गई है।
शासकीय कर्मचारियों को प्रमोशन में आरक्षण के विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने आज कहा कि पदोन्नति में आरक्षण के विषय पर विचार करने से पहले उच्च पदों पर प्रतिनिधित्व के आंकड़े स्पष्ट रूप से सामने आना जरूरी है। प्रतिनिधित्व का मूल्यांकन एक तय अवधि में होना चाहिए। यह अवधि क्या होगी इसे केंद्र सरकार तय करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सरकार को अपना पक्ष रखने के लिए दिनांक 24 जनवरी फरवरी 2022 को बुलाया है।
भारत के उच्चतम न्यायालय में जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बीआर गवई की बेंच ने कहा कि हम प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता को निर्धारित करने के लिए कोई मानदंड निर्धारित नहीं कर सकते। राज्य SC- ST प्रतिनिधित्व के संबंध में मात्रात्मक डेटा एकत्र करने के लिए पूरी तरह बाध्य हैं। कोर्ट ने आगे कहा है कि एक निश्चित अवधि के बाद प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता के आकलन के अलावा मात्रात्मक डेटा का संग्रह काफी अनिवार्य है। मध्यप्रदेश कर्मचारियों से संबंधित महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया MP karmchari news पर क्लिक करें.