FIR में दर्ज धाराओं को कोर्ट में बदला जा सकता है या नहीं, जानिए- CrPC section 216

Bhopal Samachar
नियमानुसार पुलिस, प्राप्त शिकायत के आधार पर FIR में अपराध से संबंधित धाराएं दर्ज करती है और इन्वेस्टिगेशन के बाद चार्ज शीट (आरोप पत्र) में न्यायालय को बताती है कि FIR में दर्ज अपराध पाया गया अथवा नहीं और किस कानून की किस धारा के तहत वह अपराध सजा के योग्य है। पुलिस, न्यायालय से सजा निर्धारित करने का निवेदन करती है।

इस हिसाब से देखा जाए तो न्यायालय को पुलिस की चार्जशीट के आधार पर केवल सजा का निर्धारण करना होता है। आइए जानते हैं, क्या कोर्ट केवल पुलिस की FIR में दर्ज धाराओं के तहत ही सजा का निर्धारण करती है अथवा न्यायालय को प्रस्तुत मामले में धाराएं कम करने अथवा नई धाराओं को जोड़ने का अधिकार भी है।

दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 216 की परिभाषा:-

• अगर न्यायालय को लगता है कि किसी परिवर्तन या अपराध की धारा जोड़ने के कारण आरोपी की प्रतिरक्षा या अभियोजक (पीड़ित पक्ष) प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है तब न्यायालय स्वविवेकानुसार परिवर्तन या अपराध की धारा जोड़ सकता है एवं विचारण को आगे चला सकता है।

• अगर आरोप में परिवर्तन या अपराध को जोड़ने के कारण आरोपी या अभियोजक पर कोई प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है तब न्यायालय नए विचारण का निदेश दे सकता है या विचारण को कुछ अवधि के लिए स्थगित भी कर सकता है।

• अगर ऐसे कोई अपराध का आरोप न्यायालय को लगाना है या परिवर्तन करना हैं उसके लिए अभियोजन के लिए मंजूरी की आवश्यकता है तब बिना मंजूरी के कोई परिवर्तन या अपराध जोड़ा नहीं जाएगा।

नोट:- ऐसा प्रत्येक परिवर्तन या जो अपराध आरोप में जोड़ा गया है उसे आरोपी को पढ़कर एवं समझाकर बताया जाएगा।

उदहारणानुसार वाद:- स्टेट ऑफ हरियाणा बनाम राजेश अग्रवाल 

मामले में एक कारखाने में ब्लास्ट हो जाने से सात कर्मकारों की मृत्यु हो गई थी। पुलिस ने कंपनी के निदेशकों के विरुद्ध IPC की धारा 302 एवं धारा 304-क के तहत FIR दर्ज करके आरोपी थैले में प्रस्तुत किया। उच्च न्यायालय ने धारा 302 को हटा दिया एवं प्रणाम आईपीसी की धारा 304-क के तहत सुनवाई योग्य घोषित किया। भारत के उच्चतम न्यायालय ने इसे न्यायोचित (सही) ठहराया। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com

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