FIR में, एक अपराध हेतु किस प्रकार के व्यक्तियों को आरोपी दर्ज किया जा सकता है- CrPC section 223

Bhopal Samachar
भारतीय दण्ड संहिता की धारा 34 कहती है कि किसी अपराध को करने के लिए एक से अधिक व्यक्तियों का सामान्य आशय विद्मान था, तब यह धारा संयुक्त रूप से आपराधिक दायित्व के सिद्धांत के आधार पर अधिनियमित की जाती है। अर्थात एक अपराध को करने वाले वह सभी व्यक्ति जिम्मेदार होंगे जो अपराध को करने का उद्देश्य रखते हैं या अपराधी का साथ देते हैं। लेकिन भारतीय दण्ड संहिता में यह नही बताया गया है कि वे कौन-कौन से व्यक्ति संयुक्त अपराध के आरोपी हो सकते हैं। इसके लिए हमे दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 223 की पढ़ना होगा।

दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 223 की परिभाषा (सरल एवं संक्षिप्त शब्दों में):-

वे व्यक्ति जिन पर एक साथ आरोप लगाया जा सकता है एवं न्यायालय द्वारा एक साथ ही विचारण किया जा सकता है:-
• वे सभी व्यक्ति किसी अपराध के आरोपी हो सकते हैं जिसने किसी को अपराध करने के लिए उकसाया है, या अपराध करने का प्रयत्न किया हैं।

• वे सभी व्यक्ति अपराध के संयुक्त रूप से आरोपी होंगे जिसने चोरी की है, चोरी की संपत्ति छिपाई हैं, चोरी की संपत्ति बेची है या उद्दापन, छल या आपराधिक दुर्विनियोग किया है या किसी संपत्ति को बेईमानी से प्राप्त किया है।

• भारतीय दंड संहिता के अध्याय 12 के अधीन कूटकरण सिक्के, कूटरचित सरकारी स्टाम्प को रखा गया है, बनाया गया है, बेचा गया है, आदि करने वाले व्यक्ति पर संयुक्त आरोप लगाया जा सकता है।

• किसी भी गंभीर अपराध में आरोपी का साथ देने वाला व्यक्ति एक या एक से अधिक सभी पर एक ही आरोप होगा एवं एक न्यायालय द्वारा विचारण होगा।

नोट:- अगर किसी मजिस्ट्रेट या सत्र न्यायालय को लगता है कि किसी अपराध के आरोपियों अपराध का एक ही आरोप या विचारण किया जा सकता है तब वह स्वयं या किसी के लिखित आवेदन पर ऐसा कर सकता है। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com

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